उद्योगों को श्रम कानूनों से पांच वर्ष मुक्त करने की मांग

भीलवाड़ा (हलचल)। मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने राज्य के मुख्यमंत्री, उद्योगमंत्री, अतिरिक्त मुख्यसचिव उद्योग को प्रतिवेदन भेजकर लॉकडाउन से बंद पड़े उद्योगों को पुनर्जीवित करने एवं राज्य में नया औद्योगिक निवेश आकर्षित करने के लिए उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के समान राज्य के उद्योगों को भी विभिन्न श्रम कानूनों से पांच वर्ष तक मुक्त करने की मांग की। पिछले दो-तीन वर्षो से अन्तर्राष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने के लिए देश में श्रम कानूनों में लचीलापन लाने एवं बदलाव करने की मांग सभी स्तर पर होती रही है। श्रम मंत्रालय की ओर से पूर्व में इसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया गया।
मेवाड़ चैंबर के मानद महासचिव आरके जैन ने बताया कि पांच मई को उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से अन्य राज्यों से लौटे श्रमिकों को रोजगार का वातावरण बनाने एवं अंतरराष्ट्रीय निवेश आकर्षित करने के लिए एक ऑर्डिनेन्स उत्तरप्रदेश टेम्परेरी एक्जमशन फॉर्म शर्टन लेबर लॉ नाम से ऑर्डिनेन्स पारित किया है, जिसके तहत अगले तीन वर्ष तक के लिए वर्तमान एवं नये उद्योगों पर 14 तरह के विभिन्न श्रम कानून जिसमें न्यूनतम मजदूरी कानून, फैक्ट्री एक्ट, कॉन्टेक्ट लेबर एक्ट, पेमेन्ट ऑफ  बोनस एक्ट, इंडस्ट्रीयल डिस्प्यूट एक्ट आदि सम्मिलित हैं, लागू नही होंगे।
इसी तरह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में विभिन्न श्रम कानूनों को एक हजार दिनों के लिए स्थगित करने की घोषणा की। मध्यप्रदेश में 100 से कम श्रमिक वाले उद्योगों को औद्योगिक नियोजन अधिनियम से मुक्ति मिलेगी, उद्योगो को अपनी आवश्यकतानुसार श्रमिक रखने की छूट मिलेगी। श्रम कानूनों के तहत 61 तरह के रजिस्टर रखने से छूट मिलेगी। मध्यप्रदेश में फैक्ट्री लाइसेन्स का रिन्युअल अब 10 वर्ष में होगा, नये कारखानों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन होगा आदि। चेम्बर ने अपने प्रतिवेदन में कहा कि कोविड महामारी के चलते विश्व में सारा व्यापार अस्त-व्यस्त हो गया है एवं निर्यात ऑर्डर केन्सल हो चुके है, ऐसे में श्रम कानूनों में लचीलापन लाना आवश्यक है। साथ ही विश्व के कई बड़े औद्योगिक घराने अपने चीन में संचालित कारखानों को अन्य देशों में ले जाने की सोच रहे हैं, ऐसे में श्रम कानूनों के प्रतिबंध हटने से राज्य में बड़ा विदेशी निवेश आ सकता है। 


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