शाहपुरा में आवारा पशुओं से जीना हुआ बेहाल- सांडो की लड़ाई में कार को नुकसान, कार को 20 फीट धकेला

 


शाहपुरा मूलचन्द पेसवानी 
शाहपुरा में इन दिनों आवारा पशुओं की समस्या बेहताशा बढ़ती जा रही है। सरकार की रोक के बाद भी आवारा पशुओं के लिए जगह जगह चारा डाल दिया जाता है। मेन रास्तों व चैराहों पर चारा होने के कारण आवारा पशुओं का विचरण होने व उनके आपस में झगड़ने के कारण शाहपुरा में कई हादसे हो चुके है। बावजूद नगर पालिका की ओर से इस संबंध में कोई ठोस कार्रवाई न किये जाने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पालिका प्रशासन ने तो मानों इस समस्या से ही मंुह मोड़ लिया है। उधर वैशाख माह होने के कारण चारा डालने वाले भी अपना धर्म करने से नहीं चूक रहे है।
शाहपुरा में करीब एक दर्जन ऐसे पाइंट है जहां लोगों द्वारा चारा डाल दिया जाता है। वहां दिन भर आवारा पशुओं का विचरण बना रहता है। चारा डालने का यों तो किसी को ऐतराज नहीं पर आवारा पशुओं के झगड़ने के समय उनकी चपेट में आने से बचना मुश्किल होता है। ऐसे हादसे कई हो चुके है। आज गुरूवार को भी बैंगू चैराहा जो आवारा पशुओं का बड़ा अड्डा बन गया है, वहां दो सांडों की चली लड़ाई से काफी नुकसान हुआ। खुशीराम आचार्य ने बताया कि आज सुबह दो सांडों की लड़ाई से उनके यहां खड़ी कार को सांडों ने क्षतिग्रस्त कर करीब 20 फीट आगे धकेल दिया। इससे कार में काफी नुकसान हुआ तथा उस समय वहां से गुजर रहे बाइक सवार के अलावा दो महिलाओं को भी सांडों ने अपनी चपेट में लिया। करीब आधा घंटे तक चली सांडों की लड़ाई के दौरान आस पास के लोगों ने नगर पालिका को सूचित किया पर कोई सुनवाई नहीं हुइ। गनीमत रही महिलाएं व बाइक सवार मामूली चोटिल होकर बच गये बड़ा हादसा होने पर कौन जिम्मेदारी वहन करता यह यक्ष प्रश्न अभी भी है।
भाजपा के नगर महामंत्री खुशीराम आचार्य ने बताया कि राज्य सरकार की रोक के बावजूद चारे की बिक्री रोड पर खुले में की जाती है जिससे सुबह-सुबह  जानवर लड़ते रहते हैं एवं मुख्य मार्ग को जाम कर देते हैं। आचार्य ने नगर पालिका व उपखंड प्रशासन से मांग की है कि चारा बिक्री रोकी जाए एवं चारा अपने अपने ग्रुप में डाला जाए या गौशाला में डाला जाए।
चैराहा के लोगों ने बताया कि नगर पालिका प्रशासन वोट बैंक की राजनीति के चलते चारा विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के मूड़ में नहीं है इस कारण खुले में बिक्री रूक भी नहीं रही है। समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया तो चैराहा के आस पास रहने वाले लोग ही वहां पर सीधी कार्रवाई करते हुए चारा बिक्री की रोकथाम का इंतजाम करेगें तब शांति भंग होने की स्थिति में जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
शाहपुरा में इसके अलावा त्रिमूर्ति चैराहा, बस स्टेंड, भाणा गणेश मन्दिर, फुलियागेट, तहनाल गेट, कलिजंरीगेट, गांधीपुरी सहित विभिन्न इलाकों में चारे की खुली बिक्री होने से आवारा पशुओं का जमघट व उनका आपस मे झगड़ना आम बात है। प्रशासन को इस समस्या के समाधान के लिए टाॅस्क फोर्स का गठन कर कार्रवाई करनी चाहिए नही तो कभी बड़ा हादसा हुआ तो शाहपुरा में माहौल अशांत हो जायेगा।

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