बिना योग्यता के थर्ड ग्रेड टीचर की नियुक्ति दी:ACB कोर्ट ने बारां के तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी, वरिष्ठ लिपिक व लाभार्थी को 4-4 साल की सजा सुनाई

 


कोटा। प्रारंभिक शिक्षा विभाग बारां द्वारा थर्ड ग्रेड टीचर के पद पर 2 अपात्र लाभार्थियों को बिना योग्यता के नियुक्ति देने के 12 साल पुराने मामले में ACB कोर्ट ने तीन आरोपियों को सजा सुनाई है। न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक रमेश चंद शर्मा, वरिष्ठ लिपिक ओम प्रकाश गौतम व लाभार्थी रविकांत मेहता को 4-4 साल का कठोर कारावास व 50 50 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है। एक लाभार्थी विनोद कुमार भार्गव की मौत हो जाने पर उसके खिलाफ कार्रवाई ड्राप कर दी।

सहायक निदेशक अभियोजन अशोक कुमार जोशी ने बताया कि साल 1998 में शिक्षा विभाग प्रारंभिक शिक्षा में तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर विज्ञप्ति जारी हुई थी। विज्ञप्ति में शैक्षणिक योग्यताओं के साथ-साथ एसटीसी भी योग्यता निर्धारित थी। दो अभ्यर्थी रविकांत मेहता, विनोद कुमार भार्गव के द्वारा 2 वर्षीय पाठ्यक्रम डिप्लोमा इन एजुकेशन का प्रशिक्षण जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान शिवपुरी (मध्यप्रदेश) से साल 1996 में पास किया गया था। जबकि इस संस्थान को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम 1993 के अनुसार मान्यता नहीं थी।

अंतिम वरीयता में शामिल नहीं करने पर दोनों अभ्यर्थियों ने बारां कोर्ट व राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद भी आरोपी रमेश चंद शर्मा (जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक), वरिष्ठ लिपिक ओम प्रकाश गौतम ने बिना मुख्यालय की अनुमति लिए, न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर, तथ्य छिपाकर, मिलीभगत कर रविकांत मेहता, विनोद कुमार भार्गव को अनुचित अनुचित लाभ प्रदान करने के लिए 10 साल बाद 30 जून 2009 को दोबारा नियुक्ति दी थी। जिससे राज्य सरकार को 4 लाख 37 हजार 396 का सदोष हानि की थी।

इस मामले को लेकर साल 2010 में परिवादी दुर्गाशंकर पंचोली नामक व्यक्ति ने एसीबी चौकी बारां में परिवाद पेश किया था। जिसकी जांच में आरोपियों के खिलाफ अपराध साबित पाया गया। ACB ने आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया। कोर्ट में 8 गवाहों के बयान हुए।

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