बैलगाड़ी से निकली डॉक्टर दूल्हे की बारात , दुल्हन को भी उसी पर लाया घर

 

बैतूल। एक ओर जहां कई युवक अपनी शादी के लिए हैलिकाप्टर को पहली पसंद बनाते हैं। वहीं कुछ अपनी बारात को एरोप्लेन से ले जाने में शान महसूस करते हैं। लेकिन, शादी में इन्हीं तमाम तरह के शानोशौकत को तरजीह देने वाले लोगों के बीच एक डॉक्टर दूल्हे की बारात बैलगाड़ी से निकली।

बैलगाड़ी से निकली डॉक्टर दूल्हे की बारात क्षेत्र के लोगों में चर्चा का विषय बन गई। दरअसल चंद रोज पहले चिचोली ब्लॉक के ग्राम अषाढ़ी निवासी एमबीबीएस डॉक्टर राजा धुर्वे की शादि हुई। इस दौरान ग्राम अषाढ़ी से पास में ही स्थित गांव दूधिया में बारात को जाना था। रात चिचोली के दूधिया गांव में दूल्हा सहित पूरी बारात बैलगाड़ी से पहुंची।

इसके बाद शादी की रस्मों के पश्चात दुल्हन को भी बैलगाड़ी से ही घर लगाया गया। वहीं इस दौरान दुल्हन भी बड़े आराम से बैलगाड़ी में ससुराल जाने को तैयार हो गई यानि बैलगाड़ी को लेकर उसकी तरफ से भी कोई विरोध नहीं किया गया। और फिर दुल्हें के साथ बैलगाड़ी पर ही बैठ कर वह आराम से अपने ससुराल तक आई। इस दौरान बैलगाडिय़ों को शानदार तरीके से सजाया गया।

गांव में जब बैलगाड़ी से बारात पहुंची तो लोग देखते ही रह गए। बैलगाड़ी को देखकर लोग चर्चा करने लगे आज के जमाने में भी यह सब।वही कुछ लोगों ने अपनी परंपरा अनुसार बैलगाड़ी से बारात ले जाने पर सराहना करने से भी नहीं चूके। शादी की पूरी रस्में होने के बाद दुल्हन को भी बैलगाड़ी में ही बैठाकर घर लाया गया। शादी के दौरान आदिवासी ढोल-ढमाके भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहे।

दरअसल एमबीबीएस डॉक्टर राजा धुर्वे बैतूल में बच्चों की कोचिंग कक्षाएं चलाते हैं। उनका कहना है कि अपने सामाजिक, सांस्कृतिक मूल्यों को सहेजने और लोगों को महंगाई के दौर में सादा जीवन-उच्च विचार सिखाने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता था। उनके मुताबिक महंगाई के इस दौर में बैलगाड़ी सबसे सस्ता सुलभ और प्रदूषण मुक्त साधन है। बैलगाड़ी ग्रामीण सभ्यता संस्कृति की पहचान है। इसलिए अपनी संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने बैलगाड़ी पर बारात ले जाने का फैसला किया।



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