महंगाई की मार: दाल में तड़का तो दूर की बात, आटा महंगा होने से अब तो रोटी खाना भी मुश्किल हुआ

 

भीलवाड़ा (हलचल)। पेट्रोलियम पदार्थों के महंगे होने से इसका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर रसोई पर भी पड़ने लगा है। दाल में तड़का तो लोग करीब-करीब भूल ही चुके हैं, अब तो आटा महंगा होने से दो वक्त की रोटी भी भरपेट खाना भी गरीब आदमी के लिए मुश्किल हो गया है।
शहर की संजय कॉलोनी निवासी पुषालाल शनिवार को शाम की सब्जी मंडी  में खाद्य सामग्री लेने पहुंचे। वस्तुओं के दाम सुनकर वे हैरान हो गए और जरूरत की चीजें ही दुकानदार को नोट कराई। दुकानदार वासु ने कहा कि डीजल के दाम बढ़ने से मालभाड़ा बढ़ा है, इसलिए महंगाई और ज्यादा हो गई है।
लगातार बढ़ रहीं पेट्रोल-डीजल की कीमतों का असर अब नजर आने लगा है। गैस, तेल और दाल तो पहले ही महंगी हो गई, जबकि आटा भी अब महंगाई की चपेट में आ गया। ट्रांसपोर्टरों द्वारा भाड़ा बढ़ाने की वजह से यह महंगाई हुई है। रसोई का सामान महंगा होने से आम नागरिक परेशान होने लगा है। बीते माह 120 रुपए में मिल रहा पांच किलो आटा 15 रुपए महंगा होकर 135 रुपए में मिल रहा है। 15 दिन पहले तक खुले में आटा 22 से 24 रुपए किलो बिक रहा था, जो अब 26 रुपए किलो हो गया है। बाजार में मसालों के रेट भी बढ़े हैं।
सामग्री          भाव (पहले)    भाव (अब)
जीरा             200             250
काली मिर्च     550             650
लाल मिर्च      200             240
धनिया          100             150
हल्दी            100             120
लोंग              700            800
अरहर दाल      90              100
चना दाल         60              70
मूंग घोबा दाल  80              90 
काली उर्द दाल  80              100
मूंग दाल छिलका 90            100
उर्द घोबा          100             120
मटर                80               100
छोले                100              120
नोट- भाव प्रति किलो
इनका कहना है...

महंगाई पर हमारा वश नहीं है। डीजल पर लगातार बढ़ रहे दामों का असर खाद्य वस्तुओं पर पड़ रहा है। भाड़ा महंगा होने से बाजार में हर सामान महंगा है। ट्रक यूनियन के रेट बढ़ाने से अब खाद्य सामग्री पर भी भाड़ा बढ़ा है। इसका असर हर खाद्य वस्तु पर पड़ने लगा है। थोक में माल आता है, फुटकर में जाते समय इस पर असर तो आता ही है। डीजल के दामों से यह महंगाई बढ़ रही है। इससे हर कोई परेशान है।
वासु, किराना व्यवसायी, शाम की सब्जीमंडी, भीलवाड़ा



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