बेहतर प्रबन्धन अच्छे परिणाम का आधार- शर्मा

 


शाहपुरा- भीलवाडा, मूलचन्द पेसवानी

राज्य शिक्षा सेवा अधिकारी एवं शाहपुरा डाईट में लीडरशिप प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य प्रशिक्षण प्रभारी राधेश्याम शर्मा ने कहा  कि विभिन्न प्रशासनिक व्यवस्थाओं से जुड़े कार्यो की सफलता नेतृत्वकर्ता के प्रबन्धन व प्रशासनिक कौशल के साथ सहयोगियों के सामूहिक प्रयासों से ही संम्भव है और सहयोगियों को समर्पित सेवायें देने उनको प्रेरित करना नेतृत्वकर्ता की जिम्मेदारी है। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से लीडरशिप प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे उच्च माध्यमिक विद्यालयों के संस्था प्रधानों को सम्बेधित करते हुए शर्मा ने विद्यालय प्रशासन व प्रबन्धन, पर्यवेक्षण, व्यक्तित्व विकास, संवेदनशील प्रशासन, उत्तरदायित्व निर्धारण सहित विभिन्न बिन्दुओ की चर्चा करते हुए संस्थाप्रधान के दायित्व निर्वहन पर प्रकाश डाला।

प्रशिक्षण सहयोगी अख्तर रिजवी एवं आशिष जिन्दल ने विद्यालय प्रशासन एवं व्यवस्थाओं से जुड़े विभिन्न पहलुओ की विस्त्रृत जानकारी देते हुए सफल संस्था प्रधान के गुणों को रेखांकित किया। उन्होंने विभिन्न विद्यालयों के विशिष्ट प्रकरणों की जानकारी देते हुए समस्याओं के समाधान हेतु सफलीभूत प्रयासों के माध्यम से संस्थाप्रधानों के अनुभवों की जानकारी दी। इस दौरान क्रियात्मक, रचनात्मक कार्य सहित खुले सत्र, विभिन्न विषयों का अध्ययन कर प्रतिवेदन तैयार करने सहित अन्य गतिविधियों के माध्यम से संस्थाप्रधानों की सहभागिता सुनिश्चित कर उनकी शंकाओं का समाधान भी किया गया एवं विभागीय नियम व प्रावधानों की जानकारी प्रशिक्षण प्रभारियों द्वारा दी गई।

डाईट प्रतिनिधियों कैलाश जांगीड, भगवानदास वैष्णव, कैलाश मण्डेला आदि ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के संम्भागियों से चर्चा कर मार्गदर्शन दिया तथा विद्यालय व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने हेतु सुझाव दिये। विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान सोमपालसिहं राणा, रमेशचन्द्र रोत, कविता आजवानी, अरविन्द सिहं, अरविन्द पण्डया, संगीता मीणा, राजेन्द्र पंचाल, देवराम रोत, घनश्याम सिहं, कमलेश कहाल्या, गोकुल यादव आदि ने भी विचार व्यक्त कियें। इससे पूर्व कार्यक्रम के आरम्भ में सुभाष दल के सदस्यों ने प्रार्थना, प्रेरक प्रसंग, प्रतिवेदन और कार्य प्रगति की प्रस्तुती के माध्यम से जानकारी दी।

सांस्कृतिक संध्या - इससे पूर्व आयोजित सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम में संस्थाप्रधानों ने विभिन्न वाद्य यंत्र ढोल, हारमोनियम आदि के साथ कविता, गीत आदि की साहित्यिक- सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी। इस दौरान कविता आजवानी, मनोज सिंधवी, यतेन्द्र शाह, चेतना पण्डया, ममता पाटीदार रमेशचन्द्र रोत, एच आर मीणा, अंजनीजी, धनेश्वर शर्मा आदि ने प्रस्तुतियां दी।

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