राजस्थान में कानून व्यवस्था अन्य राज्यों से बेहतर-गहलोत


जयपुर,  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में कानून व्यवस्था अन्य राज्यों से बेहतर बताते हुए कहा है कि प्रदेश कीपुलिस अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर काम कर रही है।
श्री गहलोत आज यहां राजस्थान पुलिस अकादमी के दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर की तुलना में राज्य में आपराधिक मामलों में सजा का प्रतिशत बढ़ा है, जो कि राज्य पुलिस के उत्कृष्ट कार्य का घोतक है। स्पेशल इन्वेस्टीगेशन यूनिट, हीनियस क्राइम मॉनिटरिंग यूनिट, साइबर क्राइम इन्वेस्टीगेशन यूनिट, सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टीगेशन यूनिट जैसे नवाचारों से राज्य पुलिस ने पूरे देश में एक अलग पहचान बनाई है।उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि प्रशिक्षित अधिकारी महिलाओं, बालिकाओं, समाज के कमजोर लोगों और बुजुर्गों के साथ शालीनता से व्यवहार कर उनकी परिवेदनाओं को पूरे मनोयोग और मानवीय दृष्टिकोण से सुनेंगे तथा उन्हें राहत प्रदान करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे आश्वस्त है कि नए अधिकारी वीरता एवं सजगता के साथ आपराधिक व राष्ट्रविरोधी तत्वों का सामना करेंगे। उन्होंने कहा कि नए अधिकारियों को वैज्ञानिक अनुसंधान के तरीकों को कार्यप्रणाली में सम्मलित करना होगा, ताकि सुलभ एवं पारदर्शी न्याय किया जा सके। उन्होंने कहा कि पुलिस अपने अधिकारों का उपयोग पीड़ित वर्गों को न्याय दिलाने में करे, जिससे पुलिस का इकबाल कायम रहने के साथ ही अपराधियों में भय व्याप्त रहे।
श्री गहलोत ने कहा कि राजस्थान पुलिस का गौरवशाली इतिहास रहा है, जो विषम परिस्थितियों में अपने कार्य को अंजाम देते हुए बलिदान देने में कभी पीछे नहीं रही। पुलिस ने हमेशा हिम्मत और हौंसले से प्रदेश का मान-सम्मान बढ़ाया है। पुलिस के शानदार कार्य के कारण ही राज्य में कानून-व्यवस्था नियंत्रण में है। राज्य सरकार द्वारा पुलिस और आमजन में बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं। 834 थानों में स्वागत कक्ष बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि एफआईआर के अनिवार्य पंजीकरण से आपराधिक प्रकरणों को दर्ज करने की प्रक्रिया सुगम हुई है। गंभीर एवं जघन्य अपराधों के अनुसंधान हेतु स्पेशल इकाइयों की स्थापना की गई है। इन प्रयासों से एससी/एसटी के विरूद्ध अपराधों के अनुसंधान में लगने वाले औसत दिनों की संख्या 231 से घटकर 72 रह गई है।

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