भीतर का क्षमा गुण समाप्त हो जाने पर बाहर के झगड़े नहीं हो सकते समाप्त-समकित मुनि
भीलवाड़ा, मूलचन्द पेसवानी भावों में लालच की आग होने से अंदर की पवित्रता नष्ट पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि भीतर के भाव बदलते ही आगे के भव बदल जाते है। भावों में लालच की आग लगी होने का परिणाम है कि भीतर की पवित्रता नष्ट होती चली जाती है। लालच,क्रोध, अभिमान व माया की अग्नि साधारण नहीं ये तो आत्म गुणों को जलाकर राख कर देती है। कषाय की जड़ हरी-भरी होने पर बाहर लालच व क्रोध के झगड़े कभी खत्म नहीं हो पाते है। हम कषाय की इस हरी भरी जड़ को समाप्त करना होगा ताकि बाहरी क्लेश व तनावों से मुक्ति पा सके। शिवाचार्य जयंति 18 सितम्बर को मनाएंगे तप-त्याग के साथ पूज्य समकितमुनिजी म.सा. ने बताया कि 18 सितम्बर को श्रमण संघीय आचार्य सम्राट डॉ. शिवमुनिजी म.सा. की जयंति तप-त्याग आराधना के साथ मनाई जाएगी। श्रमण संघीय महामंत्री पूज्य सौभाग्यमुनिजी म.सा. की द्वितीय पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में 25 सितम्बर को सामूहिक सामायिक आराधना होगी। उन्होंने कहा कि अधिकाधिक श्रावक-श्राविकाएं इन कार्यक्रमों में सहभागिता निभा धर्म आराधना का लाभ ले। | ![]() |
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