मजदूर संगठन और उद्योगपतियों के बीच नहीं बनी सहमति, शुक्रवार को फिर होगी चर्चा

भीलवाड़ा हलचल। भीलवाड़ा में उद्योगों को चलाने के लिए श्रमिकों और उद्योगपतियों के बीच मार्च-अप्रैल के वेतन को लेकर टकराव की स्थिति बन गई है। दोनों ही पक्षों के बीच आज लंबी बातचीत हुई लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। मजदूर संगठन मार्च- अप्रैल का पूरा वेतन और अब आठ घंटे काम और 26 दिन की मजदूरी पर अड़े हैं, जबकि फैक्ट्री यूनियनों के प्रतिनिधियों में मजदूर संगठनों से कहा है कि वे, 35 प्रतिशत तक भुगतान करने को तैयार है, लेकिन इससे ज्यादा वे नहीं दे सकते। इसके चलते आज बातचीत अधूरी रही और कल फिर इस पर चर्चा होगी। इस बीच, आज किसी भी फैक्ट्री में काम शुरू नहीं हो सका। 
सूत्रों के अनुसार, भीलवाड़ा मजदूर संघ, टैक्सटाइल श्रमिक के प्रतिनिधियों और मेवाड़ चैंबर, भीलवाड़ा विविंग मिल्स, भीलवाड़ा ट्रेड फैडरेशन और लघु भारती संघ के पदाधिकारियों के बीच आज गांधी नगर में लंबी बातचीत हुई है। इसमें मजदूर संगठनों की ओर से पन्नालाल चौधरी, बंशीलाल माली आदि ने मांग रखी कि मार्च-अप्रैल के साठ दिनों का भुगतान मजदूरों को किया जाये। वहीं अब 26 दिन और आठ घंटे की मजदूरी श्रमिकों को देेने की मांग भी की गई। लेकिन उद्योगपतियों के चारों संगठनों में जुगलकिशोर बागड़ोदिया, अतुल शर्मा, रमेश अग्रवाल, महेश हुरकट, संजय पेडिवाल आदि ने मजदूर संगठन की इस मांग को उचित नहीं ठहराया और कहा कि मार्च माह का भुगतान किया जा चुका है और अप्रैल माह के लिए मजदूरों को गुजारा भत्ता देने को तेयार है और यह वेतन का 30 से 35 प्रतिशत हो सकता है। इससे ज्यादा वे देने की स्थिति में नहीं है। इसे लेकर दोनों पक्षों में काफी तीखी बातचीत भी हुई है और बोनस, सीएल, पीएल जैसे मुद्दे भी उठाये। इसके चलते बातचीत अधूरी रही। कल फिर बैठक बुलाई गई है। मजदूर संगठनों ने 70 प्रतिशत भुगतान करने की मांग रखी है। इस पर चारों संगठनों के पदाधिकारी विचार करने के बाद कल कोई फैसला लेंगे। इस बीच, आज संगम प्रोसेस पर मजदूर संगठन ने प्रदर्शन कर वहां चल रहे काम को बंद करवा दिया। जबकि औद्योगिक क्षेत्र रीको में भी पिछले दो दिनों में आधा दर्जन इकाइयों को बंद कराने की खबर है। ऐसी स्थिति में कोई फैसला नहीं होता है तो टकराव के हालात बनने के साथ ही भीलवाड़ा में जल्द ही उद्योग धंधे शुरू होने की संभावना कम ही है। 


सरकार ने कुछ नहीं दिया
भीलवाड़ा सिंथेटिक्स विविंग मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय पेडिवाल ने केंद्र सरकार के पैकेज को लॉली-पोप बताते हुये कहा कि इससे भीलवाड़ा के वस्त्र उद्योगों को कुछ भी नहीं मिला है। पेडिवाल ने हलचल से बातचीत करते हुये कहा कि केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया है, लेकिन भीलवाड़ा के उद्योगों को इससे क्या मिला, जिससे उद्योगों को संबल मिल सके। सरकार ने लॉली-पोप के तौर पर लोन देने की घोषणा की है, जिससे उद्योगपतियों को कोई भला होने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि मजदूर फैक्ट्रियों में काम करने को तैयार है, लेकिन उन्हें बरगलाया जा रहा है, ऐसे में कपड़ा फैक्ट्रियां जल्दी चलने की संभावना नहीं है, जबकि मालिक जो मानदेय श्रमिकों को दे रहे हैं, उसमें भी वे सहमत है, लेकिन कुछ लोग उन्हें काम पर आने से रोक रहे हैं।


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