सेक्स पावर बढ़ाने के लिए एक करोड़ के कछुओं की कर रहे थे तस्करी

 

इटावा. उत्तर प्रदेश के इटावा (Etawah) में कड़ाके की सर्दी के साथ ही कछुओं की तस्करी के मामले आने लगे हैं. एक करोड़ से अधिक मूल्य के कछुओं के साथ पकड़ी गई तीस किलो कैल्पी (चिप्स) के बारे में वन्य जीव विशेषज्ञों ने कई अहम जानकारियां दीं. वन्य जीव विशेषज्ञ और सोसायटी फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के महासचिव डॉ. राजीव चौहान ने दावा किया है कि वन विभाग और सैफई पुलिस ने सयुक्त अभियान में करीब एक करोड़ से अधिक मूल्य के 2583 कछुए बरामद किए, इनमें से 2 की मौत हो गई. पुलिस वन विभाग के सयुक्त अभियान मे कछुआ तस्करों के पास से करीब 30 किलो कैल्पी यानी चिप्स भी बरामद की गई है. इतनी चिप्स के लिए कम से कम एक सौ कछुओं को मारा गया होगा.

कोरोनाकाल में कछुए की तस्करी का पहला मामला

विशेषज्ञ ने कहा कि निश्चित ही कि कछुआ तस्करों ने चिप्स बनाने के लिए गर्मी के ही मौसम यानी मई जून में ही कछुओं को मार कर चिप्स बना डाली होगी. कोरोनाकाल में कछुओं की तस्करी का यह पहला मामला सामने आया है. इटावा के पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ओमवीर सिंह बताते हैं कि कछुओं से बनाए गए इतने चिप्स की कीमत कम से कम 30 लाख रुपये होगी. डॉ. राजीव चौहान बताते हैं कि 1979 में सरकार ने कछुओं सहित दूसरे जलचरों को को बचाने के लिए चम्बल से लगे 425 किमी में फैले तटीय क्षेत्र को राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी घोषित कर दिया था. बावजूद इसके 1980 से अब तक एक लाख के आसपास कछुए बरामद किए जा चुके हैं. अब तक 100 से ऊपर तस्कर पकड़े गए हैं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब इतने पकड़े गए हैं तो कितने हजार कछुओं की तस्करी हो चुकी होगी.

ऐसे बनती है कछुए की चिप्स
राजीव चौहान बताते हैं कि आगरा के पिनहाट और इटावा के ज्ञानपुरी और बंसरी में दो जाति ऐसी हैं जो कछुए के चिप्स बनाने का काम करती हैं. कछुए की निचली सतह जिसे प्लैस्ट्रान कहते हैं, को काटकर अलग कर लेते हैं. उसे कई घंटे तक पानी में उबाला जाता है. उसके बाद इस परत को सुखाकर उसकी चिप्स बनाई जाती है. एक किलो वजन के कछुए से 250 ग्राम तक चिप्स बन जाती हैं. निलसोनिया गैंगटिस और चित्रा इंडिका नामक कछुए की प्रजाति से प्लैस्ट्रान निकाले जाते हैं.

सेक्स पावर बढ़ाती है कछुए की चिप्स

इटावा की नदियों और तालाब में 11 प्रजाति के कछुए पाए जाते हैं, लेकिन चिप्स निलसोनिया गैंगटिस और चित्रा इंडिका से ही निकाली जाती है. असल में कछुए की चिप्स से बनने वाले सूप के इस्तेमाल से शारीरिक क्षमता में इजाफा होता है. सूप के इस्तेमाल के बाद सेक्स पावर बढ़ जाती है. इसलिए कछुए की चिप्स का सूप थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर में काफी महंगा बिकता है.

वर्ष 2000 में आया था तस्करी का पहला मामला

वैसे सबसे पहले कछुओं की चिप्स बनाए जाने का मामला साल 2000 में इटावा जिले में सामने आया था. लेकिन तब इस बात का अंदाजा नहीं था कि कछुआ की तस्करी के बजाय उनकी चिप्स भी बना कर के इस ढंग से बाजार में उतारी जाती है. लेकिन अब जिंदा कछुआ के बजाय कछुओं की चिप्स का कारोबार बड़े पैमाने पर चल निकला है, जो हिंदुस्तान के रास्ते होते हुए थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर आदि देशों तक जा पहुंचा है.



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