25 करोड़ की लागत से बनेगा सांवरिया हनुमान मंदिर, होगा ट्रस्ट का गठन

भीलवाड़ा (राजकुमार माली)। जिले के कारोई कस्बे में 25 करोड़ रुपए की लागत से सांवरिया हनुमान मंदिर का निर्माण होगा। इस  मंदिर का गुम्बद आस पास के क्षेत्र में सबसे ऊंचा होगा। मंदिर निर्माण के लिए जल्दी ही ट्रस्ट गठित किया जाएगा और इसमें कारोई क्षेत्र के लोग ही शामिल होंगे। 
महंत बाबूगिरी महाराज ने हलचल को बताया कि कारोई में 28 फीट ऊंची सांवरिया हनुमान जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा पिछले दिनों कर दी गई थी। अब मंदिर निर्माण की तैयारियां शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण में 25 करोड़ रुपए की लागत आयेगी। 
वास्तु के अनुसार होगा निर्माण :
सांवरिया हनुमान मंदिर का निर्माण वास्तु के अनुसार किया जाएगा। इसके लिए जयपुर और अहमदाबाद के नक्शानविशों को नक्शा बनाने का जिम्मा सौंपा गया है। 
राम मंदिर वाले पत्थर का होगा उपयोग:
अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के निर्माण में काम लिये जाने वाला बंशी पहाड़ पुर वाला पिंक पत्थर और मकराना का सफेद मार्बल का उपयोग सांवरिया हनुमान मंदिर के निर्माण में काम लिया जाएगा। जबकि इन पत्थरों की नक्काशी का काम पिंडवाड़ा और भरतपुर के कारीगर करेंगे। 
इतना ऊंचा होगा गुम्बद :
महंत बाबूगिरी महाराज ने बताया कि सांवरिया हनुमान मंदिर का गुम्बद 101 फीट ऊंचा होगा। भीलवाड़ा जिले में संभतया अभी इतना ऊंचा किसी भी मंदिर का गुम्बद नहीं है। यह पहला मंदिर होगा जो इतना ऊंचा बनेगा। 
प्रथम चरण में ये होगा निर्माण :
सांवरिया हनुमान मंदिर के निर्माण के प्रथम चरण मेंं चारदीवारी और गर्भगृह का निर्माण कराया जाएगा। इसी के साथ 101 फीट ऊंचे गुंबद का निर्माण भी शुरू होगा। 
बनेगा ट्रस्ट :
सांवरिया हनुमान मंदिर के लिए ट्रस्ट का जल्दी ही निर्माण होगा और इसमें कारोई क्षेत्र के लोग ही शामिल होंगे। इनमें देवेन्द्र कुमावत, जगदीश काबरा, नाथूलाल व्यास, ओमप्रकाश व्यास, परथू कुमावत, नटराज सिंह, भगवती लाल टेलर, बद्रीलाल, सोहन लाल कुमावत, मुकेश व्यास, बंशीलाल शर्मा आदि शामिल होंगे। 
होगा आस्था का केन्द्र :
भीलवाड़ा-उदयपुर मार्ग पर प्रस्तावित सांवरिया हनुमान मंदिर का जल्दी ही निर्माण शुरू होगा। यह मंदिर भीलवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर के साथ ही आस पास के जिलों के लोगों के लिए आस्था का केन्द्र होगा। 
ऐतिहासिक रही प्रयागराज यात्रा :
हनुमान जी की प्रतिमा की प्रयागराज यात्रा ऐतिहासिक रही है। पूरे प्रदेश में इस तरह पहले किसी इतनी बड़ी मूर्ति को प्रयागराज नहीं ले जाया गया जहां प्रतिमा का गंगाजल से अभिषेक किया गया। यह यात्रा गिनीज बुक में शामिल हो सकती है।


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