छिपाएं नहीं, बताएं...
शहर, जिला, प्रदेश और देश में बस एक ही चर्चा और डर है, कोरोना वायरस का। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्बोधन में देशवासियों को हिम्मत और एकता दिखाने की अपील कर मानवता की जीत का मंत्र दिया है। लेकिन इन सबके पीछे मानव को इस बीमारी के लक्षणों को छिपाने की नहीं बल्कि बताने की जरूरत है ताकि अपना और अपने परिवार के साथ अन्य लोगों की सुरक्षा हो सकती है।
भीलवाड़ा में अब तक की इस महामारी की चपेट में वैसे तो अधिकृत रूप से कोई आया नहीं है लेकिन कई मामले छिपाने के सामने आए हैं। यही वजह है कि संदिग्ध मरीजों के संपर्क में सैकड़ों लोग आए हैं। एक जगह होली खेलने के दौरान तो दूसरी जगह चिकित्सा जैसे क्षेत्र में लोग ऐसे रोगियों के संपर्क में आए, इनमें एक मामला तो ऐसा भी है जिनमें चिकित्सक होते हुए अपने रोग को सार्वजनिक करना था लेकिन अपने प्रतिष्ठान की बदनामी के डर से चिकित्सक को भीलवाड़ा में नहीं रख उपचार के लिए बाहर भेज दिया। यही नहीं, अस्पताल में एक नहीं बल्कि 10 से ज्यादा कर्मचारी और चिकित्सक संदिग्ध रोगी के रूप में अस्पताल में भर्ती हो गए। इन संदिग्ध मरीजों के संपर्क में कितने लोग आए होंगे, यह सोचकर ही लोग हैरान और चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी परेशान हैं।
चिकित्सा महकमा और जिले के कलेक्टर राजेंद्र भट्ट दिन-रात इस बीमारी के बचाव के प्रयास में जुटे हैं लेकिन लोगों के बीमारी के छिपाने और जानकारी नहीं देने से इस महामारी के बढऩे से इनकार नहीं किया जा सकता। कलेक्टर भट्ट ने तो बाहर से आने वाले लोगों से अपील भी की है कि वे आते ही चिकित्सा महकमे को सूचना दे लेकिन लोग इससे बेपरवाह हैं।
लोगों को चाहिए कि वे एक-दूसरे के निकट जाने से बचें। बेवजह घर से नहीं निकलें। अगर एक पखवाड़ा लोगों ने यह जिम्मेदारी निभाई तो वे और अन्य लोग खुशहाल रह सकते हैं लेकिन जिम्मेदारी हर नागरिक को निभानी होगी। लापरवाही छोडऩी होगी। सरकार उपचार कर सकती है, दवा दे सकती है लेकिन बचाव तो खुद को ही करना होगा।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें