महिलाओं को मिले पुरुषों के समान अधिकार, लिंग आधारित भेदभाव हो खत्म

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस-2020 पर विशेष
भीलवाड़ा (नागेंद्र सिंह)।
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। इस बार इसकी थीम महिलाओं अधिकार व लिंग समानता है। यानि महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार मिलने चाहिए और लिंग भेदभाव समाप्त हो। कुछ सालों पहले तक महिला को अबला कहा जाता था और उसे कमजोर माना जाता था लेकिन आज महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अधिक सशक्त हैं। शिक्षा का क्षेत्र हो या व्यवसाय का, महिलाएं कहीं पीछे नहीं हैं। आजादी के बाद से महिलाओं की स्थिति में तेजी से सुधार आया है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा भी कई कानून बनाए गए हैं। इससे महिलाओं के अधिकार बढ़े हैं और महिलाएं आज पुरुषों के मुकाबले कहीं पीछे नहीं हैं। महिलाएं बड़े पदों पर आसीन हैं और कुशलता से अपने कार्यों का निर्वहन कर रही हैं। पुरुष प्रधान समाज बीते दिनों की बात हो गई है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हलचल ने कुछ चर्चित व खास महिलाओं से बात की और जाना कि महिलाओं के विकास के लिए और क्या होना चाहिए।
हर दिन उत्सव है, नई राह और संघर्ष का दिन एक ही नहीं हमारा, हर रोज पर्व है शक्ति का...। महिलाएं अब जागरूक हो चुकी हैं। उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए जिससे कि वे जीवन में आने वाली परिस्थिति का मुकाबला कर स्वयं को स्थापित कर सकें।
सुमन राजेंद्र गौड़
हमारे समाज में आज भी महिलाओं के प्रति सम्मान की कमी है। आज के दौर की महिलाएं महिलाएं अब शिक्षित होने के साथ ही आत्मनिर्भर होने लगी हैं। इसके बावजूद ग्रामीण परिवेश में अभी भी लोगों की सोच वही दकियानूसी है। पुरुषों को ही परिवार का मुखिया माना जाता है।  इस विचारधारा को बदलने की जरूरत है।
शंभु देवी जाट, गृहिणी
पुराने समय की तुलना में महिलाओं की स्थिति बेहतर हुई है। समाज में वे आगे आई हैं और पुरुषों के कंधों से कंधा मिलाकर चल रही हैं। हमारे संस्थान भी शिक्षा के साथ ही महिला सशक्तीकरण के विशेष प्रयास कर रहे हैं। महिलाएं आज कहीं पीछे नहीं हैं। उन्हें अपनी योग्यता को पहचानना होगा।
वंदना माथुर, निदेशक, महिला आश्रम
सदियों से महिलाओं पर आपत्ति जताई जाती रही है, लेकिन अब आपके पास अपनी आवाज उठाने की ताकत है। इस महिला दिवस पर, मुझे उम्मीद है कि अब सभी प्रकार के लिंग-आधारित मानदंड नष्ट हो जाएंगे और लैंगिक समानता होगी। महिलाएं मजबूत व अजेय हैं और उन्हें अपना उचित श्रेय प्राप्त करने की आवश्यकता है।
आकांक्षा, गृहिणी
वर्तमान समय महिलाओं के लिए औसत कहा जा सकता है। आज हमारे सामने महिलाओं के दो पक्ष सामने आते हैं। पहला तो वह जिसमें वे महिलाएं शामिल हैं और कामयाब जिंदगी जी रही हैं। इसे देखा जाए तो महिलाएं आगे बढ़ी हैं। लेकिन दूसरा पहलू वह है, जिसमें वे महिलाएं शामिल हैं जिनके साथ अभी भी घरेलू हिंसा या अन्य अत्याचार हुए हैं, इससे लगता है कि महिलाएं अभी भी पिछड़ी हुई हैं। इसके अलावा आजकल यह भी देखा गया है कि महिलाएं अपने लिए बनाए गए कानूनों का गलत इस्तेमाल करती हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। मैं तो यही संदेश देना चाहूंगी कि आत्महीनता को दूर करें और संस्कारों को बनाए रखें।
डॉ. सुमन त्रिवेदी, पूर्व अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति
महिलाओं के साथ हर जगह पर हमेशा सम्मान के साथ ही पेश आना चाहिए। चूंकि हमारे लिए सशक्तीकरण भीतर से आता है, जो सही है, उसके साथ हमेशा खड़े होने के लिए आपको खुद को तैयार करना चाहिए और जो चीजें सही हैं उन पर भी आंख बंद करके विश्वास नहीं करना चाहिए। इतना ही नहीं इस समय आपको अपनी खुद की आवाज बनाने की जरूरत है। मेरा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर यही कहना है।
मनीषा मानसिंहका
एक औरत होना वरदान है, बस आप इसे एंजॉय करें। खुद का बेस्ट वर्जन होने का प्रयास करना पड़ता है। आपको पता नहीं होता कि आपका बेस्ट वर्जन कौनसा है, जब तक आप प्रयास नहीं करेंगी। जब आप बेहतरी की दिशा में प्रयास करेंगी, तब खुद को बेहतर बनाने के नए तरीके जानने लगेंगी और सिलसिला चलता रहेगा। दूसरी ओर यदि आप पतन की ओर जाएंगी तो आपको नीचे गिरने के नए-नए तरीके मिलेंगे और अंत में जो भी आप होंगी वैसा आप बिल्कुल नहीं होना चाहेंगी।
निशा जैन


एक ऐसी दुनिया हो, जहां महिला और पुरुष को समान अधिकार और अवसर मिले। महिलाओं  को देर रात घर आने से डर ना लगे और पुरुष बहादुरता में ना फंसे। महिला-पुरुष को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले और घर के कार्यों को भी साझा किया जाए। राजनीतिक नेतृत्व से लेकर कॉरपोरेट बोर्डरूम व घरों में समानता रहे। गांव से शहर तक सभी के जीवन, नीतियां व पर्यावरण को प्रभावित करने वाले फैसलों में महिलाओं की समान भूमिका हो। पीढ़ी समानता के लिए हम सबकी अहम भूमिका है। हमें बच्चों को लिंग-निष्पक्ष के लिए उनकी मानसिकता को बचपन से ही विकसित करनी चाहिए। महिला और पुरुष दोनों की अपनी ताकत और कमजोरी है। कई अध्ययनों से पता चला है कि महिलाओं के पास पुरुषों की तरह समान दिमाग है और जाहिर है कि महिलाओं के बिना भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती। तो आइए इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अपनी प्रतिबद्धता को आवाज दें ताकि शहर या देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में नारी को एक समान भविष्य मिले।
पूजा माहेश्वरी, डायटिशियन एंड वेलनेस कोच, एचबी मिसेज इंडिया-2020
 
महिला-पुरुष में भेदभाव समाप्त होना चाहिए। वैसे तो आजकल लड़कियां आगे बढ़ सकती हैं और बढ़ भी रही हैं। उन्हें संघर्ष से नहीं घबराना चाहिए। अपने अस्तित्व की लड़ाई व्यक्ति को खुद लडऩी पड़ती है और वही चीज हमें सफलता दिलाती है। लड़का हो या लड़की सबको बिना भेदभाव समान अवसर मिलने चाहिए।
पुष्पा कासोटिया, यातायात प्रभारी
महिलाएं आगे बढ़ रही हैं और इसमें कोई दो राय नहीं है। भीलवाड़ा में महिलाओं की सुरक्षा के लिए हमने महिला पुलिसकर्मियों की स्पेशल टीमें लगा रखी हैं, जो कॉलेज या स्कूलों के बाहर मनचलों के खिलाफ कार्यवाही करती हैं। इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं। इसके अलावा हमने महिला आत्मरक्षा अभियान चला रखा है जिसमें महिलाओं व युवतियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं जिससे कि वे किसी भी हालात से बिना किसी पर निर्भर रहे निपट सके। महिलाओं को और सक्षम व स्वावलंबी बनने के लिए उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए।
मेघना त्रिपाठी, अपराध सहायक, एसपी ऑफिस
महिलाओं में काफी जागरुकता आई है। वे अपने अधिकारों को जानने लगी हैं और उनका इस्तेमाल करना भी जान चुकी हैं। पहले से महिलाओं की स्थिति अच्छी हुई है। हर क्षेत्र में महिलाएं अग्रणी हैं। आज कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां महिलाओं की पहुंच नहीं हो। भीलवाड़ा में नवजात कन्याओं को फेंकने व भ्रूण जैसे अपराध होते हैं। इस पर रोक लगना जरूरी है। बाकी आने वाला समय महिलाओं के लिए अच्छा होगा।
शिल्पा भादविया, थानाधिकारी, महिला पुलिस थाना
महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं। इकॉनॉमिकली व सोशल सहित एजुकेशन के फील्ड में भी महिलाएं नाम रोशन कर रही हैं। शिक्षा का स्तर भी बढ़ा है। आने वाला समय महिलाओं के लिए बहुत ही अच्छा रहने वाला है। महिलाओं को पुरुषों से कम आंकना आज के समय में दकियानूसी हो गया है।
ललिता शर्मा, एडवोकेट
पुराने समय में महिलाओं को केवल घर में काम संभालना होता था क्योंकि शिक्षा केवल पुरुषों के लिए थी लेकिन अब जमाना बदला है। शिक्षा प्राप्त करने से महिलाएं चूल्हे-चोके से दूर हुई हैं और दुनिया में नाम कमा रही हैं। कई महिलाएं तो पति के बराबर जिम्मेदारियां निभा रही हैं। आने वाले समय में महिलाएं और उन्नति करेंगीं।
अल्का मलिक, प्रोपराइटर, जय मातादी फूड प्रोडक्ट
महिलाएं आगे बढ़ रही हैं और शिक्षा के माध्यम से नाम भी कमा रही हैं। समय के साथ महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुई हैं और इसी का परिणाम है कि वे आज अच्छे पदों पर हैं। आज महिला और पुरुष में कोई भेद नहीं है। महिलाएं घूंघट से बाहर आ चुकी हैं और आने वाले समय में पुरुष प्रधान समाज की अवधारणा इतिहास की बात हो जाएगी।
सुनीता व्यास, हेड, न्यू राइज प्लेसमेंट्स एंड क्लासेज
आज महिलाएं हर क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे जानती हैं कि उन्हें किस परिस्थिति से कैसे निपटना है। महिलाएं सशक्त हुई हैं। सामाजिक, आर्थिक या किसी भी क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से कमतर नहीं हैं बल्कि पुरुषों से एक कदम आगे ही हैं। बस उन्हें अपने वजूद के लिए संघर्ष करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
नीता बाबेल, महामंत्री, ऑल इंडिया श्वेतांबर स्थानक महिला मंडल
आज महिलाएं कमजोर नहीं हैं। उन्हें अपनी ताकत का अहसास होना चाहिए। महिलाओं के लिए कई कानून बनाए गए हैं जो उन्हें सुरक्षा प्रदान करते हैं। कई केस आते हैं जिनमें महिलाएं जागरूकता के अभाव में अत्याचार की शिकार हो जाती हैं। ऐसे में उन्हें शिक्षा देकर समर्थ बनाया जा सकता है जिससे कि वे अपने साथ होने वाले अत्याचार या भेदभाव के खिलाफ आवाज उठा सकें।
संजू बापना, सरकारी वकील,  महिला उत्पीड़न प्रकरण
महिलाओं की स्थिति में पहले से काफी सुधार आया है। बाल विवाह व अशिक्षा जैसी कमियां सुधरी हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी महिलाएं पुरुषों से कहीं पीछे नहीं हैं। भीलवाड़ा में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे में कुछ सख्त कानून बनाए जाने व उनकी पालना करवाना सुनिश्चित करना जरूरी है। अपराधियों में डर पैदा होना चाहिए जिससे महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध कम हो सके।
डॉ. तरूणा दरगड़, रामस्नेही अस्पताल
जब हौंसला बना लिया ऊंची उड़ान का फिर देखना फिजूल है कद आसमान का, डरना नहीं यहां तू किसी भी चुनौती से, बस तू ही सिकन्दर है सारे जहान का...। यही सोच रखते हुए बेटियों को आत्मनिर्भर बनना चाहिए। बेटियों को भी बेटों की तरह आगे बढऩे के समान अवसर मिलने चाहिए। आत्मरक्षा के लिए शिक्षा के साथ ही मार्शल आर्ट की शिक्षा दी जाए। हर मां की जिम्मेदारी है कि वह अपनी बेटी को शिक्षित बनाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनाने में उनका सहयोग करे क्योंकि मां के सहयोग के बिना बेटी आगे नहीं बढ़ सकती। 
प्रियंका पुरोहित, प्रि‍ंंसीपल, डीपीएस स्कूल, चित्तौडग़ढ़
अंतरराष्ट्रीय दिवस पर महिलाओं का सम्मान अच्छी बात है लेकिन यह रोज होना चाहिए। केवल एक दिन ऐसे आयोजन होने से महिलाएं सुरक्षित नहीं हो सकती। ऐसे आयोजन कुछ साल पहले ही शुरू हुए हैं और इसके बाद से महिलाओं के प्रति अपराध में कमी के स्थान पर वृद्धि हुई है। महिलाओं को अपने वजूद को पहचानना होगा और आगे आना होगा। परदे के पीछे वाली छवि काफी हद तक मिट चुकी है लेकिन जरूरी है कि यह पूरी तरह खत्म हो।
शिल्पी अग्रवाल, प्रिंसीपल, शेमरॉक स्कूल
महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और आने वाले समय में वे बहुत आगे तक जाएंगी। एक निश्चित सीमा में महिलाओं को बांधकर रखना अब गुजरे जमाने की बात हो गई है। अभी भी ऐसे लोग हैं जो महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने के पक्ष में नहीं हैं। ऐसे लोगों की सोच में परिवर्तन करना बहुत जरूरी है और इसके लिए महिलाओं को बिना किसी की परवाह किए अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास करना चाहिए।
सुमन जैन, संचालक, मानसी रेस्‍टोरेंट
आज जमाने की रफ्तार को देखते हुए महिलाएं बहुत आगे बढ़ रही हैं। कामयाबी के शिखर छू रही हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि महिलाएं उन्नति कर रही हैं लेकिन ग्रामीण परिवेश में अभी महिलाओं को जागरूक करने की जरूरत हैं। महिलाओं को उस दायरे को तोडऩा होगा, जिसमें फंसकर वे जीवन में कुछ नहीं कर पातीं।
प्रतिमा अरविंद गर्ग, गृहिणी
आज लड़कियां बहुत आगे जा रही हैं। होना भी चाहिए, क्योंकि योग्यता के अनुसार आगे बढऩे का मौका सबको मिलना चाहिए। चाहे फिर वो लड़का हो या लड़की। लोगों की गलतफहमी थी कि लड़कियां वह सब कुछ नहीं कर सकतीं, जो लड़के कर सकते हैं लेकिन लड़कियों ने साबित कर दिया है कि जो काम वे कर सकतीं हैं, उसे लड़के भी नहीं कर सकते हैं। तो ऐसे में यह मानना कि लड़कियां कमजोर हैं, बिल्कुल गलत हैं। आज महिलाएं कहीं पीछे नहीं हैं।


दिव्या मलिक, आशा भोजनालय 


महिला दिवस एक दिन नहीं हो इससे हर रोज हर दिन मनाना चाहिए समानता के जमाने में अभी भेदभाव बरता जा रहा है यह ठीक नहीं है।


निधि डॉ नरेश खंडेलवाल ग्रहि‍णी


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