राम भक्ति के बिना राष्ट्र अधूरा-आचार्यश्री रामदयालजी

शाहपुरा- मूलचन्द पेसवानी 


रामस्नेही संप्रदाय के आद्य संस्थापक महाप्रभु स्वामीश्री रामचरणजी महाप्रभु ने विरक्तवाद का जो नारा दिया था, वो आज भी प्रांसगिक है। उनसे हम सभी को मार्गदर्शन मिलता है। किसी ज्ञानी पुरुष या व्यक्ति से बढकर भी उसकी प्रभु भक्ति सर्वोत्तम है। 
यह बात रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर जगतगुरू आचार्य श्री स्वामी रामदयालजी महाराज ने गुरूवार को फुलडोल महोतसव के तीसरे दिन धर्मसभा में कही है। आचार्यश्री रामदयालजी महाराज यहां फुलडोल महोत्सव के दौरान आयोजित धर्मसभा में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ज्ञानी भक्त बन गया तो ज्ञान सार्थक हो जायेगा। 
आचार्यश्री ने जोर देकर कहा है कि जो व्यक्ति राम भक्ति नहीं कर सकता है वो राष्ट्र की भक्ति क्या करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि रामभक्ति के बिना राष्ट्र अधूरा है। उन्होनें फूलडोल महोत्सव को रामस्नेही अनुरागियों का महाकुंभ बताते हुए कहा कि यहां आकर संत दर्शन, धाम दर्शन करके तथा भजन आराधना करने से मोक्ष की प्राप्ति होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि आराध्य की भक्ति में भक्त का भाव जाता है, व्यक्ति नहीं। त्याग में जो सुख की समता है वह कहीं और नहीं, लेकिन त्याग दुष्प्रवृत्तियों, मोह, लोभ और दंभ का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कलियुग में परमात्मा की प्राप्ति का एक मात्र मार्ग गुरु भक्ति है, क्योंकि गुरु ही ज्ञान का प्रकाश देकर परमात्मा से मिलने की राह बताते हैं। क्षण भर के लिए भी यदि संतों की वाणी सुनने को मिले तो भी यह नारायण की बड़ी कृपा है। कलियुग में मानव धर्म की राह छोडकर धन की राह पर आगे बढ़ रहा है। बड़ा परिवार व बड़ी दौलत दोनों ही आज की सबसे बड़ी चिंता है। उन्होंने कहा कि सदाचार व सादगी की पूंजी ही सही मायने में सबसे बड़ी दौलत है, लेकिन कलियुग में इसका उल्टा हो रहा है। अंहकार के बोझ ने मानव प्रपंची बना दिया है। यदि त्यागी को त्याग का अहंकार आ गया तो वह त्याग शुभ और मंगलकारी होने के स्थान पर दुख का मूल बन जाएगा। अहंकारी कभी सुखी, समृद्व और सफल नहीं हो सकता है। उन्होंने सत्कर्म में आने वाली बाधाओं का उल्लेख किया तथा कहा कि  उसमें भी सात्विक  बाधा उत्पन्न होती है। राम काज के लिए लंका जाते समय हनुमान के मार्ग में भी सुरसा जैसी प्रायोजित सात्विक बाधा आई थी। ऐसी विषम परिस्थिति में हनुमान जैसा एक निष्ठ भक्त अपने आराध्य के  लक्ष्य पूर्ति के लिए समाधान खोज लेता है। इसके लिए आवश्यकता है भरोसा, बल एवं विश्वास की। धर्मसभा में अन्य संतों ने भजन के माध्यम से रामचरण जी महाराज के आदर्शो पर प्रकाश डाला।
*महोत्सव में दिन भर क्या होगा*
फुलडोल महोत्सव में 14 मार्च तक प्रतिदिन सुबह 5 से 7 बजे तक रामधुनी, प्रात 9 से 12 बजे तक आचार्यश्री व संतों के प्रवचन, प्रात 10.30 से थाल की शोभायात्रा राममेडिया से, आचार्यश्री द्वारा प्रसादी वितरण, अपरान्ह में 3 से 5 बजे तक प्रवचन, रात्रि में 8 से 10 बजे तक प्रवचन होंगे। 


*पुण्डरीक गौस्वामीजी महाराज आज आयेगें*
रामस्नेही संप्रदाय के फुलडोल महोत्सव में 13 मार्च शुक्रवार को भागवत मर्मज्ञ मन्माध गोडेश्वर वैष्णवधाम पुण्डरीक गौस्वामी जी महाराज वृन्दावन शिरकत करेगें। संप्रदाय के कार्यवाहक भंडारी संत जगवल्लभ राम महाराज ने बताया कि पुण्डरीक जी महाराज शुक्रवार को रात्रिकालीन धर्मसभा में आचार्यश्री के साथ धर्मसभा को संबोधित करेगें।
*चार्तुमास की लगी अर्जिया*
संप्रदाय के पीठाधीश्वर का अगला चार्तुमास अपने शहर में कराने के लिए अर्जियां आज से ही पेश होना प्रांरभ हो गयी है। आज पुष्कर, निम्बाहेड़ा व रेलमगरा की अर्जियां पेश हुई जिनका बारादरी में आचार्यश्री के सम्मुख संतों ने वाचन किया।


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