सेविंग अकाउंट पर ज्यादा ब्याज देकर बटोरी थी सुर्खियां, अब है मुश्किल में
नई दिल्ली। बैंकिंग रेगुलेटर RBI द्वारा Yes Bank को लेकर हाल में उठाए गए सख्त कदमों की वजह से यह बैंक आज हर जगह चर्चा के केंद्र में है। केंद्रीय बैंक ने शुक्रवार को यस बैंक के पुनर्गठन की योजना पेश की। दूसरी ओर देश के सबसे बड़े बैंक SBI के बोर्ड ने यस बैंक में 49 फीसद हिस्सेदारी के अधिग्रहण को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। पिछले दो दिन में केंद्रीय वित्त मंत्री से लेकर आरबीआइ गवर्नर से लेकर एसबीआइ चेयरमैन तक यस बैंक के ग्राहकों को आश्वस्त करने की कोशिशों में लगे हैं कि उनके मेहनत की कमाई पूरी तरह सुरक्षित है और डूबेगी नहीं। इसके बावजूद देशभर में यस बैंक के एटीएम के बाहर लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। ऐसे में इस बैंक की पूरी कहानी जानना जरूरी है कि आखिर यह बैंक जबरदस्त सफलता का स्वाद चखने के बाद आज मुश्किल में किन वजहों से है।
2004 में पहली शाखा
यस बैंक की पहली शाखा आज से करीब 15-16 पहले यानी 2004 में खुली थी। इसकी स्थापना दो रिश्तेदारों राणा कपूर और अशोक कपूर ने की थी। यस बैंक के शेयरों को 2005 में भारतीय शेयर बाजारों में लिस्ट किया गया था। Yes Bank ने पर्सनल बैंकिंग, बिजनेस बैंकिंग और कॉरपोरेट बैंकिंग से जुड़े कई तरह के प्रोडक्ट पेश किए एवं सबसे तेजी से बढ़ने वाला प्राइवेट सेक्टर बैंक बन गया। यस बैंक ने सेविंग अकाउंट पर छह फीसद तक के आकर्षक ब्याज दर के जरिए खूब नाम कमाया। टेक्नोलॉजी पर जबरदस्त काम किया और बैंक UPI से लेकर कई तरह की सेवाओं में अगुआ रहा। Yes Bank ने लोगों की जरूरतों के हिसाब से सेविंग अकाउंट स्कीम पेश किए।
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