विवाद ने हरणी में होली की परंपरा बदली
भीलवाड़ा -(प्रहलाद राय तेली) एक छोटे से विवाद और होली के दिन लगी आग ने भीलवाड़ा जिले के बड़ी हरणी गांव में होली की परंपरा को बदलकर एक नया रूप ही दे दिया। अब इस गांव में ग्रामीण लकडिय़ों व कंडों की होली ना जलाकर चांदी की होली की पूजा करते हैं।
एक ओर जहां पूरे देश में होली का दहन किया जाता, वहीं गांव बड़ी हरणी ऐसा भी है, जहां पर्यावरण को बचाने के लिए चांदी की होली की पूजा की जाती हैं। यहां ग्रामीण पिछले 80 से अधिक सालों से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाने के लिए चांदी की होली बनाकर उसकी पूजा करते हैं। उसके बाद उसे गांव के मंदिर में ले जाकर वहां भजन कीर्तन किए जाते हैं। ग्रामीण घीसालाल जाट ने कहा कि एक बार होली के लिए बाहर से लकडिय़ां लाने को लेकर हुए झगड़े और होली दहन से लगी आग के बाद ग्रामीणों ने होली नहीं जलाने का प्रण कर लिया। अब लोग होली दहन के स्थान पर मंदिर में रखी चांदी की होली व सोने की झाड़ू ले जाकर प्रतीकात्मक रूप से होली का दहन का उत्सव मनाते हैं। इससे ग्राम में पर्यावरण पर भी कोई असर नहीं होता है और शांति के साथ होली मनाई जाती है। वहीं गांव के शंकरलाल जाट कहते हैं कि वृक्ष नहीं काटने से जहां पर्यावरण संरक्षण होता है, वहीं आग लगने और आपसी झगड़ों की संभावना भी खत्म हो जाती है।ग्रामीण भवानीराम जाट ने बताया की गांववालों के चंदे से बनाई गई चांदी की होली को होली के दिन चारभुजा के मंदिर से ठाट-बाट से गाजे-बाजे के साथ होलिका दहन स्थल पर ले जाकर पूजा कर वापस मंदिर में लाकर रख देते हैं। गांव के सोहनलाल तेली कहते हैं कि हमारे ग्राम की इस परंपरा का न केवल समर्थन करते हैं, बल्कि लोगों से अपील करते हैं कि वे भी इस परंपरा को आगे बढ़ाएं।
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