हिंदू धर्म में ध्वज का विशेष महत्व बताया गया है। प्रत्येक मंदिर के शिखर पर ध्वज लगाने की परंपरा सदियों पुरानी है। आज के समय में लोग अपने घरों की छत पर धार्मिक रूप से ध्वजा लगाते हैं। हिंदू धर्म में मुख्य रूप से केसरिया या पीले रंग का ध्वज लगाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में भी ध्वज से जुड़े कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को करने से कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। ध्वजा लगाते समय कई बातों का ध्यान रखा जाता है। तभी इससे संबंधित शुभ फल हमें प्राप्त होते हैं। आगे जानिए ध्वज लगाने से जुड़ी खास बातें… कैसे हो ध्वज का रंग? सनातन धर्म में भगवा और केसरिया रंग की ध्वजा लगाना बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए भगवा केसरिया या फिर पीले रंग में से किसी एक रंग की ध्वजा लगा सकते हैं। ये तीनों ही रंग ध्वजा के लिए सही रहते हैं। इस दिशा में लगाएं ध्वजा ध्वजा को लगाने के लिए वायव्य कोण सही माना जाता है। यदि आपको अपने घर में ध्वजा लगानी है तो इसे घर की छत पर वायव्य कोण में लगाएं। यदि आपको दिशा की जानकारी सही प्रकार से न हो पा रही हो तो किसी वास्तु शास्त्री से सलाह लेकर ध्वजा लगा सकते हैं। इस तरह की होनी चाहिए ध्
भीलवाड़ा (विजय गढ़वाल) | शहर में स्थित हरणी महादेव मंदिर में आज भगवान भोलेनाथ को 25 किलो काजू बादाम पिस्ता अंजीर किसमिस वे अखरोट से सिंगार किया गया। शिवराज गुर्जर ने बताया कि शहर में स्थित हरणी महादेव मंदिर में आज भगवान भोलेनाथ को 25 किलो काजू बादाम पिस्ता अखरोट अंजीर किसमिस से श्रृगार किया गया इस सावन सोमवार के बाद श्रावण महीने का पांचवां और अंतिम सोमवार 3 अगस्त पूर्णिमा के दिन है। सावन का चौथा सोमवार है। सावन के महीने में सोमवार का विशेष महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव की आराधना के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन होता है। सावन सोमवार में विशेष रूप भगवान शिव का जलाभिषेक और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं। इस दिन शिवभक्त व्रत रखकर शिव आराधना करते हैं। विवाहित और अविवाहित महिलाएं दोनो ही सोमवार का व्रत और भगवान शिव की पूजा करती है। इस सावन सोमवार के बाद श्रावण महीने का पांचवां और अंतिम सोमवार 3 अगस्त पूर्णिमा के दिन है। शिवलिंग पूजा से मिलता है सुख-सौभाग्य शिवलिंग का पूजन-अभिषेक करने से सभी देवी-देवताओं के अभिषेक का फल उसी क्षण प्राप्त हो जाता है।श्रीलिंग पुराण के अनुसार शिवलिंग के म
भीलवाड़ा ! सुवालका कलाल जाति केंद्र की अन्य पिछड़ा वर्ग सूची में शामिल नही होने से समाज के विद्यार्थियों को सरकारी नौकरीयो में आरक्षण का फायदा नही मिल रहा है। सुवालका कलाल जाति राजस्थान राज्य की पिछड़े वर्ग की सूची में है, लेकिन केंद्र में सामान्य वर्ग श्रेणी में है। अखिल राजस्थान सुवालका संघ ट्रस्ट के अध्यक्ष कैलाश सुवालका ने आज इस सम्बंध में भीलवाड़ा सांसद सुभाष बहेड़िया से मुलाकात कर उन्हें इस समस्या से अवगत कराया।सुवालका की मांग पर सांसद बहेडिया ने केंद्रीय सामाजिक अधिकारिता मंत्री थावर चंद व केंद्रीय पिछड़ा वर्ग के अध्यक्ष को पत्र भेजकर सुवालका कलाल जाति को अतिशीघ्र ओबीसी वर्ग में शामिल करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने की मांग की।
उज्जैन. समुद्र शास्त्र के अनुसार स्त्रियों को मुख्यतः निम्न पांच वर्गों में बाटा गया है, जो इस प्रकार है… 1. शंखिनी - ये अन्य स्त्रियों से थोड़ी लंबी होती हैं। इनमें से कुछ मोटी और कुछ दुर्बल होती हैं। इनकी नाक मोटी, आंखें अस्थिर और आवाज गंभीर होती है। ये हमेशा अप्रसन्न ही दिखाई देती हैं और बिना कारण ही क्रोध किया करती हैं। - ये पति से रूठी रहती हैं, पति की बात मानना इन्हें गुलामी की तरह लगता है। इनका मन सदैव भोग-विलास में डूबा रहता है। इनमें दया भाव भी नहीं होता। इसलिए ये परिवार में रहते हुए भी उनसे अलग ही रहती हैं। ऐसी स्त्रियां संसार में अधिक होती हैं। - ऐसी लड़कियां चुगली करने वाली यानी इधर की बात उधर करने वाली होती हैं। ये अधिक बोलती हैं। इसलिए लोग इनके सामने कम ही बोलते हैं। इनकी आयु लंबी होती हैं। 2. चित्रिणी - ये स्त्रियां पतिव्रता, स्वजनों पर स्नेह करने वाली होती हैं। ये हर कार्य बड़ी ही शीघ्रता से करती हैं। इनमें भोग की इच्छा कम होती है। श्रृंगार आदि में इनका मन अधिक लगता है। इनसे अधिक मेहनत वाला काम नहीं होता, परंतु ये बुद्धिमान और विदुषी होती हैं। - गाना-बजाना और चित्रकल
भीलवाड़ा । ’’मैत्री भाव जगत में मेरा सब जीवों से नित्य रहे’’ जब किसी व्यक्ति के मन में यह भाव अंकित हो जाता है तो वह सभी के प्रति विनम्रता का भाव रखता है। मारीच ही महावीर बनता है, महावीर ’’महावीर’’ नही बनता। यह समझते हुए सभी जीवों की आत्मा सिद्ध परमेष्ठी के समान है, यह मानना सबसे बढा विनय है। सभी के हित की भावना धारण करना, दूसरों के सम्मान को ठेस नहीं पहुँचाना सौलह कारण भावना में विनय सम्पन्नता भावना मानी जाती है। जैन दर्शन हर परिस्थिति में दूसरों के प्रति कोमल, मृदुभाव रखने की सीख देता है। आचार्यो ने कहा है कि जो झुकना नहीं जानता, वह पाषाण के स्तम्भ के समान है। हमें सिद्ध रूप प्राप्त करना है तो पहले अपने आप को बडा मानना छोडना होगा एवं दूसरों के प्रति विनय भाव धारण करना होगा। ’’जो मानते है स्वयं को बहुत बडे हैं, वे धर्म से अभी बहुत दूर खडे है’’। यह बात बालयति निर्यापक श्रमण मुनि श्री विद्यासागर जी महाराज ने बुधवार को सुधासागर निलय में विनय सम्पन्न भावना पर प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहाकि साधु भी विनय तपाचार का पालन करता है, श्रावक महाराज के प्रति हाथ जोडकर विनय करते है, तो साधु क
गंगापुर (सुरेश शर्मा)। दुर्गा अष्टमी के चलते आज कस्बे सहित ग्रामीण आंचल में भी घर-घर में दियाड़ी माता की पूजा अर्चना की गई। वही सहाड़ा के भरक माता, चामुंडा माता सहित शक्तिपीठों में विशेष पूजा अर्चना के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जानकारी के अनुसार शनिवार को सुबह के शुभ मुहूर्त के चलते कस्बे सहित ग्रामीण अंचल में कुल की देवी माता की विशेष पूजा अर्चना की गई। इस दौरान घर में नन्ही बालिकाओं को भोजन करवाया गया। उनकी पूजा अर्चना की गई, सहाड़ा ग्राम में दुर्गा अष्टमी के चलते माता का विशेष श्रृंगार किया गया। कोरोना महामारी के चलते इस बार दुर्गा अष्टमी की पूजा अर्चना का कार्यक्रम घरों में ही किया गया। माता के दरबार में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया गया।
भीलवाड़ा बीएचएन। सडक़ के बीच शराब पीने से टोकने को लेकर तीन लोगों ने हनुमान नगर थाने की इटुंदा चौकी पर पथराव कर दिया। जमीन पर लाठियां व सरिये पटक कर पुलिस वालों को धमकाया। सहमे पुलिसकर्मियों ने बैरिक में दुबक कर खुद को बचाया। थाने से जाब्ता आने के बाद दो आरोपितों को पुलिस ने शांतिभंग के आरोप में गिरफ्तार कर लिया, जबकि एक भागने में सफल रहा। पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ अलग से राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने का केस दर्ज किया है। हनुमान नगर पुलिस ने बीएचएन को बताया कि इटुंदा चौकी पर तैनात कांस्टेबल गजवीर पुत्र मुलचन्द पायल ने थाने पर रिपोर्ट दी कि वह, कांस्टेबल कपिल के साथ सायंकालीन गश्त के लिए इटुंदा चौकी से रवाना हुआ। माताजी के मंदिर लुहारी रोड़ पहुंचने पर तीन व्यक्ति सडक़ के बीच बैठकर शराब पी रहे थे। जिससे आवागमन में बाधा उत्पन्न हो रही थी। परिवादी व साथी कांस्टेबल ने तीनों को वहां से उठकर घर जाने के लिए कहा तो वे गाली-गलौच कर धमकियां देने लगे। नाम-पता पूछने पर तीनों ने खुद को मुकेश पुत्र मदन रैगर, अनिल पुत्र गोपाल खटीक व मदन पुत्र खाना रैगर निवासी इटुंदा बताया। पुलिसकर्मियों ने तीनो
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