होलिका दहन आज: शाम 6.37 से रात 8.56 बजे के बीच शुभ मुहूर्त

 


भीलवाड़ा (हलचल)। बड़ी होली से एक दिन पहले छोटी होली मनाई जाती है। छोटी होली वाले दिन होलिका दहन करने की परंपरा है। होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत से जोड़कर देखा जाता है। इस बार ये पर्व 28 मार्च यानि आज मनाया जाएगा। शाम के समय प्रदोष काल में होली जलाई जाएगी। इसके बाद 29 मार्च को धुलंडी मनाई जाएगी।
होलिका दहन मुहूर्त
होलिका दहन शुभ मुहूर्त में किया जाता है। भद्रा के समय होलिका दहन नहीं किया जाता। इस बार दोपहर 1 बजे भद्रा समाप्त हो गई है। प्रदोष काल शाम के समय में 6.37 से रात 8.56 मिनट के बीच होलिका दहन किया जाएगा। वहीं होलिका दहन के दिन शुभ योगों में से सर्वोत्तम योग सर्वार्थ सिद्धी योग भी लगा हुआ है।
पूजा विधि

होलिका दहन जिस स्थान पर करना है, उसे गंगाजल से पहले शुद्ध कर लें। इसके बाद वहां सूखे उपले, सूखी लकड़ी, सूखी घास आदि रखें। इसके बाद पूर्व दिशा की तरफ  मुख करके बैठें। आप चाहें तो गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं भी बना सकते हैं। इसके साथ ही भगवान नृसिंह की पूजा करें। पूजा के समय एक लोटा जल, माला, चावल, रोली, गंध, मूंग, सात प्रकार के अनाज, फूल, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, बताशे, गुलाल, होली पर बनने वाले पकवान व नारियल रखें। साथ में नई फसलें भी रखी जाती हैं। जैसे चने की बालियां और गेहूं की बालियां। कच्चे सूत को होलिका के चारों तरफ तीन या सात परिक्रमा करते हुए लपेटें। उसके बाद सभी सामग्री होलिका दहन की अग्नि में अर्पित करें।
होली मनाने का कारण
शास्त्रों के अनुसार हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था, लेकिन हिरण्यकश्यप को अपने बेटे की ये बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। भगवान विष्णु की भक्ति से हटाने के लिए उसने अपने पुत्र को कई तरह की यातनाएं दीं और जब इतना कुछ सहने के बाद भी उसका पुत्र नहीं माना तो अंत में उसने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र को सौंप दिया। होलिका के पास वरदान था कि अग्नि उसके शरीर को जला नहीं सकती। होलिका प्रहलाद को जीवित जलाने के उद्देश्य से अपनी गोद में लेकर अग्नि में प्रविष्ट हो गयी लेकिन प्रहलाद की भक्ति के प्रताप से खुद होलिका ही आग में जल गई और प्रहलाद सुरक्षित रहे। इस प्रकार होली का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है।
 

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