भगवान का स्वरूप है महिलायें
एक दार्शनिक ने कहा है कि ‘‘भगवान हर जगह नहीं पहुच सकते, इसलिए उन्होंने माँ बना दी‘‘ मातृत्व महिलाओं को भगवान की असीम कृपा से मिलता है। माँ को विश्वभर में स्नेह से पूजा जाता है। माँ तथा बच्चे के बीच अतुल्नीय रिश्ता होता है। पूरे भ्रमाण्ड में माँ एक जैसी पाई जाती है तथा यह अन्य सभी प्राणियों के मुकाबले कहीं ज्यादा सबल, सशक्त, प्रबल तथा तेज होती है। एक महिला होने के नाते मुझे माँ बनने का असीम आनन्द अनुभव हुआ है। माँ बच्चे के बीच के अदभूत रिश्ते के आनन्द को पाने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मेरी नजर में मातृत्व बिना किसी शर्त के माँ और बच्चे के बीच असीम तथा निःस्वार्थ प्यार को दर्शाता है जिसमें कोई चाहत नहीं होती। भगवान की कृपा से मुझे 16 वर्ष की छोटी आयु में ही बेटी का वरदान मिला तथा मैं बेटी नीलोफर की माँ बनी। कम उम्र में माँ बनने के काफी फायदें भी होते है। हम दोनों माँ बेटी एक दोस्त की तरह बड़ी हुई तथा बहनों की तरह व्यवहार करती थी। अपने बच्चे के साथ-साथ बडे़ होने का बहुत ही सुखद अनुभव होता है। मुझे उन दोनों में अपनी लन्दन यात्रा आज भी रोमांचित लगती है जब हम दोनों दोस्त की तरह शापिंग करते हुए स्कूली सहलियों की तरह हंसी-मजाक करती थी। एक माँ के रूप में मुझे एक पुत्र की मौत का सदमा भी लगा है। एक बच्चे के खो देने की अपूर्णीय क्षति को समझना या अहसान करना ही अत्यन्त कठिन होता है। लेकिन अपने बेटे के खो देने के बाद मैंने अपने आपको प्रभू के चरणों में समर्पित कर दिया तथा भगवान की इच्छा के आगे समर्पण कर दिया जिससे मुझे आन्तरिक शक्ति मिली तथा मैं शोक एवं आपदा के बावजूद पहले से मजबूत होकर उभरी। लेखिका अन्र्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौन्दर्य विशेषज्ञ है तथा हर्बल क्वीन के नाम से लोकप्रिय है। - शहनाज हुसैन |
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