यमुना में उफान, नाविकों ने जिंदगी दांव पर लगा बचाई पुल से कूदी वृद्धा की जान, दर्दभरी है दास्तां

 


फतेहपुर। फतेहपुर में एक मां इस कदर टूट गई कि उसने मौत का रास्ता चुन लिया और बांदा-टांडा हाईवे के दतौली पुल से उफान पर बह रही यमुना नदी में छलांग लगा दी। पुल से कूदते देखकर नाविकों ने अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर उसे सकुशल बाहर निकालकर जान बचाई। हालत बिगड़ने पर चौकी पुलिस ने उसे एंबुलेंस से अस्पताल भेजा। नदी में जान देने के लिए कूदी वृद्धा ने अपनी दर्दभरी दास्ता बयां की तो सभी के आंसू निकल आए।

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पति की मौत के बाद मजदूरी करने को मजबूर

गाजीपुर कस्बा के सोनारन मुहल्ला निवासिनी 62 वर्षीय शांती देवी के पति मुन्नू की मौत काफी समय पहले हो चुकी है और अपने बेटे-बहू के साथ रह रही थीं। सोमवार को भोर पहर वह किसी को बिना कुछ बताए घर से निकल गईं। वह पैदल ललौली थाने के दतौली पुल तक पहुंचीं और सुबह 11 बजे चश्मा उतारकर और 60 रुपये से भरा पर्स पुल की रेलिंग पर रख दिया। इसके बाद वह पुल की रेलिंग पर चढ़ गई तो उसे देखकर आसपास के लोग शोर मचाते हुए दौड़े।

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लेकिन, इससे पहले वृद्धा पुल से यमुना नदी में कूद गई। बाढ़ के चलते यमुना नदी में उफान देखकर लोग उसे बचाने की हिम्मत नहीं जुटा सके लेकिन कुछ नाविकों ने हिम्मत दिखाई। अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर नाव लेकर यमुना नदी में बीच धारा की ओर चल दिए और किसी तरह बहाव में बही जा रही वृद्धा को सकुशल बाहर निकाला। इसके बाद नाव में बिठाकर किनारे पर लेकर आए।

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बेटा-बहू मारते पीटते और मजदूरी का पैसा भी छीन लेते

शांती देवी ने बताया कि 15 साल पहले पति की मौत हो गई थी, इसके बाद वह मजदूरी करके खुद का जीविकाेपार्जन करती आ रही है। इकलौता बेटा जितेंद्र टेंपो चालक है, जिसके साथ वह रह रही थी। बेटे व बहू उसके साथ आए दिन मारपीट करके प्रताड़ित करते है। कई बार उसे खाना भी नहीं देते हैं, मजदूरी से कमाकर लाए रुपये भी छीन लेते हैं, प्रताड़ना से तंग आकर उसने जान देने का फैसला किया था। इसलिए वह पुल से यमुना नदी में कूद गई थी। अपनी दर्दभरी दास्तां बताते हुए शांति बेहोश हो गई तो दतौली चौकी प्रभारी सत्यपाल सिंह ने एंबुलेंस से उसे जिला अस्पताल भेजा है।

 

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21 किमी पैदल चलकर पुल तक पहुंची

ग्रामीणों के बीच चर्चा रही कि गाजीपुर से बहुआ होते हुए दतौली तक पहुंचने में वृद्धा को करीब छह घंटे से कम नहीं लगे होंगे। गाजीपुर से दतौली तक दूरी करीब 21 किलोमीटर है, अनुमान है कि वह भोर पहर ही घर से निकली होगी और पैदल चलकर पुल तक आई।

परवल की रखवाली कर रहे थे नाविक

वृद्धा की जान बचाने वाले नाविक रामगोपाल निषाद, जयनारायण व चुन्नू निषाद ने बताया कि दतौली पुल के पास रेत में परवल की फसल की रखवाली के लिए रुके थे। काफी खेत तो बाढ़ में डूब गए है, जो बचे हैं उनकी रखवाली कर रहे थे। करीब 11 बजे खाना बना रहे थे तभी महिला को कूदते हुए देखा। इसपर वह खाना बनाना छोड़कर तुरंत नाव लेकर नदी में तेजी से निकल पड़े। करीब 10 मिनट में वृद्धा तक पहुंच गए और धारा बह रही वृद्धा को बाहर निकालाकर नाव में बिठाया। वृद्धा का सिर पानी में नहीं डूबा था, जिससे उसकी जान बच गई।

 

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