हरियाली अमावस्या, कैसे पूजन करने से मिलता है पितरों को मोक्ष

 


श्रावण मास की हरियाली अमावस्या आठ अगस्त रविवार को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में प्रत्येक मास में पड़ने वाले अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखा जाता है। श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है ऐसे में श्रावण मास की अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे हरियाली अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके पितरों को पिंडदान, श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हरियाली अमावस्या का महत्व
ज्योतिर्विद पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, श्रावण मास कृष्ण पक्ष के शिवरात्रि के अगले दिन हरियाली अमावस्या होती है। इस दिन पेड़-पौधों की विशेष रूप से पूजा की जाती है। इसीलिए इसे हरियाली अमावस्या कहा जाता है। इस दिन पीपल और तुलसी के पौधे की पूजन का विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार पीपल के पेड़ में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। इस दिन पौधे लगाने से श्रद्धलुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

हरियाली अमावस्या के दिन क्या करें
पंडित शरद चंद्र मिश्रा के अुनसार, इस दिन गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करें। सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें। हरियाली अमावस्या का व्रत करें एवं किसी जरुरतमंद को दान-दक्षिणा दें। पीपल और तुलसी की पूजा करें। पीपल, बरगद, केला, नींबू अथवा तुलसी का पौधे लगाएं। किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाएं। अपने घर के पास चींटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाएं।

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