अब भाजपा में बदलाव की कसरत, गुलाब चंद कटारिया ने कई बार पैदा की असहज की स्थिति

 

जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस सत्ता और संगठन में बदलाव को लेकर कवायद चल रही है। इसी बीच, भाजपा में भी राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया के स्थान पर किसी अन्य वरिष्ठ विधायक को यह जिम्मेदारी सौंपे जाने को लेकर विचार-विमर्श शुरू हुआ है। कटारिया के स्थान पर किसी अन्य वरिष्ठ विधायक को विपक्ष का नेता बनाए जाने को लेकर राज्य भाजपा के लगभग सभी नेता एकमत हैं। वह इस बारे में राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह तक अपनी बात पहुंचा चुके हैं। इन नेताओं का तर्क है कि 77 वर्षीय कटारिया कई बार सार्वजनिक रूप से इस तरह की बयानबाजी कर देते हैं, जिससे पार्टी के लिए असहज स्थिति हो जाती है। कटारिया के विवादास्पद बयानों के बाद कई मौकों पर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित अन्य नेताओं को पार्टी की स्थिति स्पष्ट करनी पड़ती है। कटारिया को समझाया जाता है, तब वह अपने बयानों को लेकर माफी मांगते हैं। सूत्रों के अनुसार, कटारिया के स्थान पर विपक्ष के नेता पद के लिए उप नेता राजेंद्र सिंह राठौड़, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी और जोगेश्वर गर्ग के नाम केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष पहुंचाए गए हैं। हालांकि फिलहाल केंद्रीय नेतृत्व ने इस संबंध में अपनी किसी तरह की राय विधायकों व प्रदेश संगठन को नहीं बताई है।

 कटारिया ने कई बार असहज स्थिति पैदा की

उल्लेखनीय है कि कुछ माह पूर्व कटारिया ने राजसमंद विधानसभा सीट पर उपचुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी दीप्ति माहेश्वरी के पक्ष में सभा को संबोधित करते हुए महाराणा प्रताप को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद राजपूत समाज ने उनका और भाजपा का विरोध करने की बात कही थी। केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश के बाद कटारिया ने कई बार माफी मांगी। सतीश पूनिया को स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी थी। पिछले दिनों उन्होंने भगवान राम के बारे में टिप्पणी की। उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा नहीं होती तो भगवान राम समुद्र में होते। उन्होंने जनता से भी नालियों और सड़क से हटकर धर्म के आधार पर वोट देने की अपील की थी। पिछले सप्ताह वल्लभनगर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी चयन को लेकर कटारिया ने पूर्व विधायक रणधीर सिंह भींडर के बारे में टिप्पणी की थी। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान वह अपने ही विवादास्पद बयानों के कारण सत्तापक्ष के निशाने पर आए थे। कटारिया ने कई बार पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा की। 

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