मोहनीय कर्म आत्मकल्याण में सबसे ज्यादा बाधक - महासती विमलाकंवर
चित्तौड़गढ़। साधुमार्गी संघ की महासती शासनदीपिका विमला कॅवरजी म.सा. ने शुक्रवार को अरिहन्तभवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मोहनीय कर्म आत्मा का सबसे बड़ा शत्रु है। यह मोहनीय कर्म सब कर्मो से ज्यादा प्रभावशील है और आत्मकल्याण में बाधक है। आप व्यापार करते है तो व्यापारिक जानकारी पूरी रखते है। किसका लेना देना कैसा है। किसके साथ केसा व्यापारिक संबंध रखना, आप सजग रहते है। जिसको यह जानकारी नही है, वह सफल व्यापारी नही है। उसी प्रकार हमें भी कर्मो की पूरी जानकारी होनी चाहिये कि कौनसा कर्म कैसे बन्धता है। पुराने जमाने में साधक सभी क्रियाऐं विधिपूर्वक किया करते थे। विधिपूर्वक की गई धर्म क्रिया ही आत्मकल्याण में सहायक होती है। |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें