धर्मसाधना कभी अमंगलकारी नहीं होती-- महासती विमलाकंवर
चित्तौड़गढ़ ! साधुमार्गी संघ की महासती शासनदीपिका विमला कॅवरजी म.सा. ने शनिवार को अरिहन्तभवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह आत्मा अनन्तकाल से संसार में परिभ्रमण कर रही है। जब तक आत्मा के साथ कर्म लगे हुए आत्मा को संसार में परिभ्रमण करना पड़ेगा, इसलिये आत्मा को संसारीआत्मा कहा जाता है। इस आत्मा से कर्मो का छुटकारा पाने का एक मात्र उपाय पुण्यार्जन है। अतः पुण्यार्जन का सर्वाधिक महत्व है। कर्म निरन्तर बन्धते भी रहते है। केवल आपुस्य कर्म का एक बार बन्ध होता है। बाकी के कर्म तो अनवरत बन्धते रहते है। जब तक आत्मा के साथ लगे कर्म नही हटते पुण्यार्जन की आवश्यकता रहती है। |
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