नाबालिग का हाथ पकड़कर प्रपोज करना यौन उत्पीड़न नहीं, POCSO कोर्ट ने 28 साल के युवक को किया रिहा

 

Mumbai Court big decision in POCSO case, said proposing a minor girl by touching hand is not sexual harassment

 

 

मुंबई। पोक्सो कोर्ट (POCSO) मुंबई ने अपने एक बड़े फैसले में यौन उत्पीड़न (Sexual harassment) मामले के एक आरोपी को रिहा कर दिया। कोर्ट ने 28 साल के युवक को रिहा करते हुए कहा कि किसी भी नाबालिग का हाथ पकड़ना या उससे प्यार का इजहार करना यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता है। 
आरोपी युवक 2017 में एक 17 साल की युवती को प्रपोज करने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। 

कोर्ट ने कहा कि हाथ पकड़कर इजहार करना पोक्सो केस नहीं

कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि युवक पर कोई आरोप सिद्ध नहीं होता है। ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि आरोपी ने सेक्सुअल हैरेसमेंट के इरादे से युवती के साथ कोई बर्ताव किया था। 

युवक के खिलाफ एक भी ऐसा सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो कि उसने यौन उत्पीड़न की नीयत से उसका पीछा किया या उसके साथ कोई इस तरह का व्यवहार किया हो। आरोपी ने न तो लगातार पीडि़ता का पीछा किया, न उसे किसी सुनसान जगह पर रोका या फिर नाबालिग से यौन शोषण के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल किया। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोर्ट ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष इस बात के सबूत लाने में असफल रहा कि आरोपी ने यौन उत्पीड़न की कोशिश की। इसलिए संदेह का लाभ देते हुए आरोपी को बरी किया जाता है।‘

पहले भी आ चुका है एक विवादित फैसला

पोक्सो कोर्ट (POCSO Court) में हुए इस फैसले के पहले भी बांम्बे हाईकोर्ट का एक फैसला सुर्खियों में आया था। तब हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने एक पचास वर्षीय व्यक्ति के छेड़छाड़ के मामले की सुनवाई के दौरान फैसला ही बदल दिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाते समय कहा था कि पैंट खोलकर किसी नाबालिग का हाथ पकड़ना यौन शोषण की परिभाषा में नहीं आता है। 

बच्चों को यौन शोषण से सुरक्षा के लिए बना है कानून

प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट को पोक्सो (POCSO)) कहा जाता है। इसके तहत 18 साल से कम आयु के बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण से जुड़े अपराधों की सुनवाई होती है। बाल यौन शोषण गंभीर अपराधों की श्रेणी में आता है। 


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