शारदीय नवरात्र 7 अक्टूबर से, इस बार डोली पर होगा दुर्गा मां का आगमन, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

 

शारदीय नवरात्रा इस बार सात अक्तूबर से शुरू हो रहा है. मां दुर्गा इस बार डोली पर आ रही हैं, जिसे शुभ नहीं माना जाता है और हाथी पर सवार होकर जायेगी, जिसे अति शुभ माना जाता है. नवरात्र शक्ती उपासना का महान पर्व भी मना जाता है. नवरात्र जिस दिन से आरंभ होता है, उस दिन के अनुसार मां भगवती के वाहन का संबंध भी मनुष्य के जीवन से होता है यह सर्व विदित है. नवरात्र यानी आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन के साथ भगवती के वाहन के अनुसार भक्तगण वर्ष का शुभाशुभ फल जानते हैं. शारदीय नवरात्र इस बार गुरुवार से शुरू हो रहा है.

इस दिन भगवती का वाहन डोली है यानी मां भगवती इस बार डोली पर सवार होकर आ रही हैं. परम् शक्ति मां दुर्गा की आराधना के लिए नवरात्र सर्वोत्तम समय माना गया है. नवरात्र देश के अधिकाधिक भागों पूरी श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाता है. कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने नवरात्र कर देवी भगवती को प्रसन्न करने के बाद विजयादशमी के दिन रावण पर विजय पाया था. श्रद्धा विश्वास, ऊर्जा व शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना से आज भी भक्त शांति और आत्म बल प्राप्त करते हैं.

 आचार्य डॉ राजीव नयन झा, आचार्य शिव कुमार झा ने बताया कि कलश स्थापना गुरुवार को होगी और इस बार मात्र आठ दिनों का ही नवरात्र पर रहा है. नौंवे दिन ही विजयादशमी पर रहा है. विजयादशमी 15 अक्तूबर को मनायी जायेगी. मां दुर्गा इस वर्ष हाथी पर सवार होकर लौटेंगी. मां दुर्गा के आगमन एवं प्रस्थान पर प्रकाश डालते हुए आचार्य पवन कुमार झा ने कहा कि यदि रविवार एवं सोमवार को पूजा प्रारंभ होती है तो मां दुर्गा का आगमन हाथी पर, शनिवार व मंगलवार को पूजा प्रारंभ होती है तो घोड़ा पर मां का आगमन होता है.

बुधवार को पूजा प्रारंभ होता है तो मां नौका पर सवार होकर आती हैं. डोली पर आने से रोग भय आक्रांत का योग बनता है. रविवार व सोमवार को विजयादशमी पड़ता है तो मां दुर्गा भैसा पर, शनिवार व मंलवार को विजयादशमी हो तो मुर्गा पर, बुधवार व शुक्रवार को विजयादशमी हो तो गज यानी हाथी पर, गुरुवार को विजयादशमी हो तो मां दुर्गा मनुष्य यानी नरवाहन पर प्रस्थान करती हैं. भैंसा पर प्रस्थान करने से अशुभ होता है. मुर्गा पर प्रस्थान जनमानस में विकरालता, हाथी पर प्रस्थान को अति शुभ माना गया है. मनुष्य पर प्रस्थान से शुभ सौख्य माना जाता है. जो भक्त पूर्ण आस्था और भक्ति के साथ मां की आराधना करते हैं उसका कल्याण व सर्व सर्व मनोकामना पूर्ण होती है.

महुआ में दुर्गा पूजा की तैयारी जोरों पर है. विभिन्न जगहों पर मूर्तिकार मां की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है. पूजा समितियों पूजा पंडालों का भी निर्माण कार्य में जुटे हुए हैं. कारीगर दिन-रात पंडाल निर्माण कार्य में जुटे हुए हैं. जिला के प्रसिद्ध शक्तिपीठ गोबिंदपुर सिंघाड़ा समेत अन्य जगहों पर मूर्तिकारों द्वारा माता रानी की प्रतिमा का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. कन्हौली में पूजा को लेकर गांधी स्मारक भवन पर भव्य रूप से पूजा पंडाल का निर्माण कार्य जारी है. पूजा समिति के मनोज कुमार, अजित कुमार पप्पू, पंकज कुमार सुमन, अनमोल कुमार, संजय कुमार आदि ने बताया कि यहां बीते एक सप्ताह से पंडाल निर्माण कार्य जारी है.

कलश स्थापना मुहूर्त

  • 7 अक्तूबर की सुबह 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में अति शुभ रहेगा.

  • 11 अक्तूबर को पंचमी व षष्ठी तिथि एक साथ पड़ रही है. इसी दिन बिल्वपत्र का निमंत्रण देवी को दिया जायेगा.

  • 12 अक्तूबर सप्तमी को मां कालरात्रि की उपासना होगी.

  • 13 अक्तूबर को अष्टमी और 14 को नवमी तिथि मां सिद्धिदात्री की उपासना भक्त जन करेंगे.

  • 15 अक्तूबर को विजयादशमी है. इस दिन रावण दहन किया जाएगा

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