कात्यायिनी* - माँ दुर्गा के छठा रूप

 

 

स्वरूप का नाम कात्यायनी है। उस दिन साधक का मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक माँ कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से माँ के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।

माँ का नाम कात्यायनी कैसे पड़ा इसकी भी एक कथा है- कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे। उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना करते हुए बहुत वर्षों तक बड़ी कठिन तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी माँ भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लें। माँ भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली।

माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी हैं।माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर है। इनकी चार भुजाएँ हैं। माताजी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है।

माँ कात्यायनी की भक्ति और उपासना द्वारा मनुष्य को बड़ी सरलता से अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति हो जाती है। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।
 
पं. कृष्ण कुमार शर्मा 
नीलकंठ ज्योतिष
B 350 गेट न. 2 अंसल सुशांत सिटी भीलवाड़ा ।



टिप्पणियाँ

समाज की हलचल

पुलिस चौकी पर पथराव, बैरिक में दुबक कर खुद को बचाया पुलिस वालों ने, दो आरोपित शांतिभंग में गिरफ्तार, एक भागा

टोमेटो फ्री यूथ कैंपेन कार्य योजना के तहत निकाली रैली

एक और सूने मकान के चोरों ने चटकाये ताले, नकदी, गहने व बाइक ले उड़े, दहशत

अस्सी साल की महिला को बेटे बहू डायन कहकर कर रहे हैं प्रताडि़त, केस दर्ज

अग्रवाल के महामंत्री बनने के बाद पहली बार जहाजपुर आगमन पर होगा स्वागत

वैष्णव जिला सहसचिव मनोनीत

दामोदर अग्रवाल के प्रदेश महामंत्री बनने पर माली समाज ने किया स्वागत