दीपावली के नजदीक आते ही मिट्टी के दीपक पकना शुरू

 


 मांडल   भेरूलाल। दीपावली नजदीक आते ही कुम्हारों के चाक घूमने लगे हैं। बड़ी संख्या में मिट्टी के दीये बनाने का कार्य कुम्हारों ने रक्षाबंधन से ही शुरू कर दिया है। इस बार दीपक की ज्यादा बिक्री होने की उम्मीद जगी है। आगामी त्यौहार दुर्गाष्टमी, रामनवमी, दशहरा, करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, मनाए जाएंगे। इस अवसर पर दीपों से अपने घर-आंगन को सजाने की तैयारी लोगों ने शुरू कर दी है। बदलते ट्रेंड के साथ लोग डिजाइनर दीये भी खूब पसंद करने लगे हैं। वहीं चाइनीज दीयों से मोहभंग के चलते मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ी है। मेजा निवासी रतनलाल प्रजापत, शंकर लाल प्रजापत, दिनेश कुमार , रामलाल प्रजापत ,अशोक कुमार प्रजापत आदि ने बताया कि उन के  इलेक्ट्रानिक चाक है। इससे चक्का घुमाना नहीं पड़ता और कार्य भी जल्दी-जल्दी हो रहा है। अब तक हजारों की संख्या में दीपक बनाकर रख दिए हैं। और पकाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। त्यौहारों पर दीया, कुल्लड़ ,करवा और मिट्टी की घरिया और खेल-खिलौने की बिक्री शुरू हो जाती है। बाजार में मिट्टी के दीये व खेल-खिलौनों की डिमांड बढ़ गई है। 

 

 चाक ने पकड़ी रफ्तार

 

मेजा निवासी रतनलाल प्रजापत ने बताया कि दीपावली पर रोशन होगा घर-आंगन, हर तरफ दिखेगा उत्साह, श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जायेगा दीप पर्व।

 

बिक्री बढऩे की उम्मीद

 

मेजा निवासी शंकर प्रजापति बताते हैं कि इस बार उम्मीद है।  पिछले साल दीपक व मिट्टी के अन्य सामग्री बेची थी। इस बार उम्मीद है कि डेढ़ लाख से दो लाख तक दीपकों की बिक्री होगी।

 

चाक से बनती है कई चीजें

 

दिनेश कुमार प्रजापत ने बताया कि अब इलेक्ट्रिक चाक होने से काम तेजी से होता है। पहले हाथ का चाक होता था। लेकिन अब चाक से फटाफट दीपक व अन्य सामान तैयार किया जाता है। बिजली न आने की स्थिति में हाथ का चाक भी तैयार रखा जाता है। ताकि काम प्रभावित न हो। इस पर दीपक, घड़ा, करवा, गमला, गुल्लक, गगरी, मटकी, बच्चों की चक्की समेत अन्य उपकरण भी बनाए जाते हैं। मिट्टी चाक पर चढऩे के बाद एक रूप दे देते हैं। पर उसको अंतिम रूप पक्का करने के लिए दीपक को पकाया जाता है।

 

नवरात्रि से दीपक बिक्री शुरू हो जाती है। जो आगामी त्यौहार दुर्गाष्टमी, रामनवमी, दशहरा, करवा चौथ, और धनतेरस से लेकर दीपावली के दिन तक दीये की बिक्री करते हैं। प्राचीन संस्कृति के लिहाज से मिट्टी के दीपकों का ही दीपावली में महत्व होता है। इसे बच्चे व युवा खूब अच्छे से जान रहे हैं। यही वजह है। कि अब चाइना के उत्पादों को छोड़कर देशी दीपकों की मांग बढ़ रही है।

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