ईमानदार और काम करने वाले को मिलेगी न्यास की कुर्सी ! दिल्ली की है मंशा

 


भीलवाड़ा (राजकुमार माली)। नगर विकास न्यास के अध्यक्ष पद की कुर्सी किसे मिलेगी, अभी यह तो नेताओं की आपसी खींताचन में उलझी हुई है। लेकिन इस बार यह जरूर तय है कि जिसे भी यह कुर्सी नसीब होगी वह ईमानदार और काम करने वाला व्यक्ति होगा। ऐसी मंशा दिल्ली के दरबार ने जताई बताते है ताकि कांग्रेस की छवि में निखार आ सके।
भीलवाड़ा नगर विकास न्यास दूधारी गाय कही जाती है और इस बात से इन्कार भी नहीं किया जा सकता। नगर विकास न्यास के अध्यक्ष पद की कुर्सी पर अब तक किसी के आसीन नहीं हो पाने के कारण भी इसे ही माना जा रहा है। बड़े नेताओं ने इस कुर्सी को लेकर जबरदश्त खींताचन है। अब तक कई नाम अध्यक्ष पद के लिए चर्चा में आए है जिनमें दो दिन पहले तक ओमप्रकाश नराणीवाल के कभी भी कार्यभार संभालने की बात कही जा रही थी और न्यास के कई कर्मचारी अपने अपने जुगाड़ में लग गये थे लेकिन नाम की घोषणा अब तक नहीं हो पाई। वैसे पूर्व चेयरमेन रामपाल शर्मा की पत्नी मोना शर्मा, मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव के निकटवर्ती माने जाने वाले महेन्द्र नाहर, मुख्यमंत्री के नजदीकी माने वाले पूर्व न्यास अध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी, जिला कांग्रेस कमेटी के महासचिव महेश सोनी,  के नाम की भी चर्चा है। जबकि चेतन डीडवानियां का नाम पहले ही सामने आ चुका है। वहीं एक उद्योगपति और कांग्रेस के एक नेता के भाई के नाम की भी सुगबुगाहट हुई थी। इससे हटकर एक नाम कांग्रेस के एक धड़े द्वारा भी जयपुर में उठाया गया वह नाम भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई पूर्व नगर परिषद सभापति ललिता समदानी का बताया जा रहा है। इन सभी नामों को लेकर कांग्रेस के विभिन्न गुटों में खासी खींचतान है। किसी के नाम पर भी सहमति नहीं बन पाई है। हालांकि जोर आजमाईश का दौर अब भी जारी है। किसके  भाग्य में यह कुर्सी लिखी हुई है इसका फैसला आसान नहीं लग रहा है।
जयपुर में राजनैतिक सूत्रों की माने तो इस बार प्रदेश की राजनीति के साथ साथ कांग्रेस के वर्तमान हालातों को देखते हुए दिल्ली आलाकमान भी ऐसे मामलों पर निगाह रख रही है और यह संकेत भी दिए बताते है कि इस बार राजनैतिक नियुक्तियों में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का ध्यान रखने के साथ ही ईमानदार व्यक्तियों को नियुक्त करने की मंशा जाहिर की गई ताकि पार्टी की छवि में निखार आ सके। 
नगर विकास न्यास और परिषद में जिस तरह से कामकाज को लेकर आम लोगों में धारणाएं बन रही है वह जयपुर के बाद दिल्ली के नेताओं तक पहुंची है और यह सारी जानकारियां यहां के कांग्रेस के नेताओं ने ही आपसी खींचतान के चलते वहां तक दस्तावेजों के जरिए पहुंचाने की चर्चा है।

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