धर्म का पहला पाठ ही विश्व प्रेम व देश प्रेम है


 चित्तौडगढ़  हलचल।प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय प्रताप नगर चित्तौडगढ सेवा केंद्र पर श्राद्व पक्ष पर विश्वभर की दिवंगत आत्माओ के निमित्त परमात्मा शिव को महाभोग स्वीकार करा कर ब्रह्माभोज का आयोजन किया गया।
राजयोगिनी बी0के0आशादीदी, मीना, शिवली, मधु व अनिता दीदी ने भोग लगा कर सब आत्माओं की सुख शान्ति की मंगलकामना की। वहीं पत्रकार अमित चेचाणी का दीदी ने स्वागत किया। बी0के0आशादीदी ने बताया कि भारतभूमि महान भूमि हैं। इसमे जन्म लेना व मरना बहुत भाग्य की बात हैं। भारत विश्व का तीर्थ व परमात्मा अवतरण भूमि हैं। बहुत पुण्य होने पर ऐसे महान देश मे हमे जन्म मिलता है। धर्म का पहला पाठ ही विश्व प्रेम व देश प्रेम है। यदि हम केवल धर्म की बडी बडी बाते करते है लेकिन विश्वप्रेम व देशप्रेम हमारे अर्न्तमन मे नही है तो वह केवल दिखावा मात्र है। भगवान ने धर्म की परिभाषा बतायी है कि हम भगवान का ध्यान करते है, सबकुछ धार्मिक कार्य व्यवहार करते है लेकिन हमारे कर्म अच्छे नही हैं तो वह अधर्म कहलायेगा। भगवान का ध्यान व धर्म कि अच्छी बाते हमारे कर्मो मे हो तब कहेगे की सच्चा धर्म हैं। पूरा विश्व उस निराकार की संतान है। उसने सभी को दुनिया मे भेजा है यदि उसकी रचना से हमारा प्रेम नही तो रचियता से प्रेम हो नही सकता। दुनिया मे हर चीज का अपना महत्व हैं। केाई भी चीज बिना मतलब के नही है। उस निराकार की सुन्दर रचना से प्रेम ही उससे सच्चा प्रेम है। आज के समय मे हम बहुत व्यस्त होने से देश सेवा, समाज सेवा, मानव सेवा, धार्मिक सेवा मे समय नही निकाल पाते है। हम केवल परिवार की जिम्मेदारियॉ के बोझ से नही निकल पा रहे है। उसी मे हमारा जीवन गुजर रहा है। ये तो हमारा कर्मो का लेन देन हो जो हम पूरा कर रहे है आगे भाग्य बनाने के लिए कुछ अलग से सेवा कार्य करने चाहिए जिससे पिता परमात्मा की विशेष दुआओ के हमपात्र बन जाए आज के समय मे धर्म कर्म व सेवाभाव मे हर उम्र के व्यक्ति को कुछ समय अवश्य देना चाहिए पिछले 2 वर्षो मे हमने देखा कि अचानक कहीं चल बसे। मृत्यु उम्र नही देखती है इसलिए हमें पिता शिव परमात्मा से जुड़ कर सब जिम्मेदारी निभाते हुए सेवा कार्यो मे कुछ समय अवश्य देना चाहिए। जिससे हमारा जन्म जन्म का भाग्य बनता हैं। बी0के0मीना दीदी ने सभी को राजयोग का अभ्यास करवाया।

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