अनुसंधान अधिकारी की लापरवाही पर न्यायालय ने एसपी को लिखा कार्रवाई के लिए पत्र

 


 भीलवाड़ा बीएचएन। कोतवाली थाने में दर्ज मामले में अनुसंधान अधिकारी की लापरवाही को लेकर न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा है। न्यायालय ने पत्र में एक माह में अनुसंधान पूण करवा कर नतीजा प्रस्तु करने के  लिए भी लिखा है।  

परिवादी के अधिवक्ता राजेश शर्मा ने बताया कि मंगरोप निवासी रतन लाल खटीक  ने भगवान लाल गुर्जर व रतन लाल गुर्जर  के विरूद्ध प्रकरण दर्ज करवाया कि भगवान लाल व रतन लाल गुर्जर ने परिवादी से पैसे उधार लिये । इसके पेटे दोनों ने चैक जारी किये जिनको समाशोधन के लिए प्रस्तुत करने पर दोनों के चैक अनादरित हो गये ।  रतन लाल ने भगवान लाल व रतन लाल गुर्जर को नोटिस भिजवाये । इसके बाद परिवादी को पता चला कि  दोनों  ने उधार ली गई राशि हड़प करने की नियत से मिलीभगत  कर षडयन्त्रपूर्वक 500 रूपये का परिवादी के नाम से फर्जी स्टाम्प लेकर फर्जी लिखापढी, फर्जी हस्ताक्षर कर कोर्ट में फर्जी तरीके से नोटेरी करवा लिया, जबकि रतन लाल खटीक न तो स्टाम्प खरीदने गये, न ही नोटेरी कराने गया । उसने स्टाम्प पर कोई हस्ताक्षर भी नहीं किये।
आरोपितों के द्वारा फर्जी इकरारनामा तैयार किया गया, जिस पर  कोतवाली   द्वारा प्रकरण संख्या 547 / 2018 अन्तर्गत धारा 406, 420, 467, 468, 120बी भारतीय दण्ड संहिता में दर्ज कर अनुसंधान किया गया। इस पर पुलिस द्वारा अनुसंधान कर नकारात्मक रिपोर्ट (एफआर) न्यायालय में पेश की गई। परिवादी रतन लाल खटीक की ओर से  अधिवक्ता राजेश शर्मा एवं गोपाल ओझा द्वारा प्रोटेस्ट किया गया एवं न्यायालय से महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अनुसंधान की खामी पर अग्रिम अनुसंधान केलिए प्रार्थनापत्र पेश किया । न्यायालय ने विगत कई माह पूर्व विवादित इकरारनामा (स्टाम्प ) पर हस्ताक्षरों की एफएसएल जांच सहित अन्य बिन्दुओं पर पूरी जांच करने के लिए जांच अधिकारी को निर्देश दिये, लेकिन जांच अधिकारी द्वारा प्रकरण में न्यायालय आदेश के बावजूद भी काफी समय से लापरवाही एवं उदासीनता बरती गई ।  अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सं. 01.   द्वारा तल्ख टिप्पणी करते हुए एसपी भीलवाड़ा को पत्र लिख कर शीघ्र जांच कर नतीजा पेश करने व अनुसंधान अधिकारी के विरूद्ध लापरवाही के संबंध में नियमानुसार कार्यवाही कर न्यायालय को सूचित करने का आदेश प्रदान किया।

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