हरतालिका तीज व्रत हुआ शुरू, जानिये- रात 12 बजे तक की विधि और पूजा के बारे में

 


भारत के कई इलाकों में बृहस्पतिवार को हरितालिका तीज मनाई जा रही है। हरितालिका तीज पर व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त बृहस्पतिवार सुबह 6 बजकर 3 मिनट से शुरू हआ जो सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, प्रदोषकाल हरितालिका व्रत पूजा मुहूर्त का समय बृहस्पतिवार शाम को 6 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक होगा। महिलाओं के लिए यह जान लेना भी जरूरी है कि तृतीया तिथि की शुरुआत बृहस्पतिवार रात 2 बजकर 33 मिनट से होगी, जबकि तृतीया तिथि समाप्ति शुक्रवार (10 सितंबर 2021) को रात 12 बजकर 18 तक होगी।

यहां पर बता दें कि दिल्ली-एनसीआर के साथ उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और झारखंड के कई इलाकों में हरतालिका तीज प्रत्येक वर्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। ऐसे में इस वर्ष यह पर्व यानी हरतालिका तीज आगामी 9 सितंबर (बृहस्पतिवार) को मनाई जाएगी। उत्तर भारत के कुछ इलाकों में हरतालिका तीज को तीजा के नाम से भी जाना जाता है। इस कठिन व्रत कड़ी में सुहागिन महिलाएं निर्जल और निराहार रहकर अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। कुल मिलाकर यह व्रत करवा चौथ की तरह ही होता है। 

हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त, नोट करें ये तीन बातें

 

  1. ज्योतिषीय गणना की मान्यता के अनुसार भी चतुर्थी युक्त तृतीया का सौभाग्य वृद्धि में खास महत्व है। हरितालिका पर व्रत पूजा मुहूर्त बृहस्पतिवार सुबह 6 बजकर 3 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
  2. वहीं, प्रदोषकाल हरितालिका व्रत पूजा मुहूर्त का समय बृहस्पतिवार शाम को 6 बजकर 33 मिनट से रात 8 बजकर 51 मिनट तक होगा।
  3. इसके अलावा, तृतीया तिथि की शुरुआत बृहस्पतिवार रात 2 बजकर 33 मिनट से होगी, जबकि तृतीया तिथि समाप्ति शुक्रवार (10 सितंबर 2021) को रात 12 बजकर 18 तक होगी।

 व्रत के दौरान बरतें सावधानी

महिलाओं के अहम त्योहारों में शामिल हरतालिका तीज का व्रत रखने के दौरान बुहत सावधानी-सतर्कता की आवश्कता होती है। 

व्रत रखने वाली महिला को रात में सोना मना है

हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन होता है। ऐसी मान्यता है कि व्रत रखने वाली महिलाओं को रात को नहीं सोना चाहिए। इस व्रत के दौरान पूरी रात को जागरण किया जाता है। इस दौरान भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा और अर्चना की जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर कोई महिला व्रत के दिन सो जाती है, तो वह अगले जन्म में अजगर के रूप में जन्म लेती है।

 

बीच में व्रत नहीं छोड़ना चाहिए

करवा चौथ से सख्त नियमों वाले हरतालिका तीज के व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि महिलाएं निर्जला और निराहार व्रत रखती हैं। अगर महिला ने व्रत शुरू कर दिया है तो कठिनाई के बावजूद बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।जब एक बार सुहागिन हरतालिका तीज का व्रत शुरू कर दे तो प्रत्येक वर्ष यह व्रत रखे।

व्रत के दौरान मन पर रखें संयम

व्रत वाले दिन महिलाओं को चाहिए कि वह सादा जीवन गुजारें। इस दौरान धार्मिक पुस्तकों को अध्ययन भी करें। इस रोज किसी पर गुस्सा नहीं करें, अपने मन पर संयम रखें। ऐसा कहा जाता है कि गुस्सा लोगों को भक्ति भाव से दूर कर देता है। ऐसे में व्रत रखने वाली महिलाओं को चाहिए अपने से बड़ों या छोटों के साथ अपशब्द का इस्तेमाल नहीं करें।

सुबह करें पूजा

हरतालिका तीज पर पूजा-अर्चना का समय सुबह माना जाता है। यह समय बहुत शुभ भी होता है। किन्हीं कारणों से अगर महिलाएं सुबह पूजा करने में असमर्थ हैं तो सूर्यास्त के बाद प्रदोषकाल में पूजा-अर्जना कर सकती हैं।

शिव, पार्वती और गणेश की करें पूजा

महिलाएं रेत या काली मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा बनाकर पूजा करें तो अधिक लाभदायी होता है। पूजा के दौरान महिलाओं को चाहिए कि वे पूजा स्थल को खूबसूरत फूलों से सजाएं और एक चौकी भी रखें। फूल ताजे होने चाहिए और फूलों को अच्छी तरह धोने के बाद पूजा करें। पूजा करने से पूर्व महिलाएं केले के पत्ते बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, केले के पत्ते हर तरह की पूजा में शुभ माने जाते हैं।

 

ब्राह्मणों को दान कर सकती हैं पूजा के दौरान कपड़े

महिलाएं पूरे श्रद्धा भाव से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार विधि से पूजन करें। मान्यता के मुताबिक, पूजा के दौरान पूरे भक्ति भाव से महिलाएं माता पार्वती को सुहाग की सारी वस्तुएं चढ़ाएं और भगवान शिव को धोती और अंगोछा चढ़ाएं। आम तौर पर महिलाएं पूजा के बाद धोती और अंगोछा किसी ब्राह्मण को दान करती हैं। यह परंपरा सदियों बाद भी जारी है। वर्त की कड़ी में पूजा करने के बाद तीज की कथा सुननी चाहिए और रात भर जागरण करना चाहिए, धार्मिक मान्यता है कि व्रतधारी महिलाओं को किसी भी हाल में सोना नहीं चाहिए। इसके बाद महिलाए अगली सुबह स्नान आदि के बाद  आरती करें और फिर माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं। आमतौ पर सुबह हलवे का भोग लगाकर व्रत खत्म किया जाता है। यह भी मान्यता है कि व्रत रखने वाली महिला श्रृंगार का सामान, वस्त्र, खाने की चीजें, फल, मिठाई आदि का दान करें तो बहुत शुभ माना जाता है।

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