कागजों में दौड़ रही है शहर में 34 सिटी बसें, लोग टेम्पो से यात्रा करने को मजबूर

 

 

भीलवाड़ा (विजय गढ़वाल)। परिवहन विभाग की अनदेखी के चलते भीलवाड़ा से सिटी बसें नदारद हो गई जबकि कागजों में वे शहर में दौड़ रही है। परिवहन को लेकर महिने दर महीने जिला कलक्टर बैठक भी लेते है और यातायात के साधन बढ़ाने पर जोर भी देते है लेकिन बैठक भी कागजों में ही सिमट कर रह जाती है। लोगों को एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाने के लिए टेम्पो का महंगा भाड़ा वहन करना पड़ रहा है। 
भीलवाड़ा में एक दर्जन से ज्यादा सिटी बसें कागजों में संचालित हो रही है लेकिन हकीकत में एक भी सिटी बस चलती हुई दिखाई नहीं देती है। रिकॉर्ड में भीलवाड़ा पुर के बीच 34 सिटी बसें दौड़ रही है। इन बसों में कौन सवारी कर रहा है यात्री या परिवहन विभाग के कारिन्दे! यह सभी में चर्चा है।
ये सिटी बसें कहां चल रही है। इस बारे में परिवहन विभाग का कोई भी कर्मी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में आम लोगों को भीलवाड़ा से पुर जाने के लिए ऑटो रिक्शा का सहारा लेना पड़ रहा है जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। यही नहीं ऑटो रिक्शा में भी लोगों को भेड़ बकरी की तरह बैठना पड़ता है। 
ऐसा भी नहीं है कि भीलवाड़ा में कभी सिटी बसें नहीं चली हो। बरसों पहले महाराणा टॉकीज से गोल प्याऊ, स्टेशन चौराहा, रेलवे फाटक होते हुए सिटी बसें पुर तक जाती थी। जिससे गांधीनगर, बापूनगर, लेबर कॉलोनी, जवाहरनगर, बीलिया और आस पास के लोगों को सस्ता यातायात का साधन उपलब्ध था। लेकिन आज वह सिटी बसें गुम हो गई है, सिर्फ कागजों में दौड़ रही है। 
 

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