पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें श्राद्ध और पिंडदान, पितृपक्ष में भूल से भी न करें ये काम

 

पितृपक्ष शुरू हो चुका है. पितृपक्ष 6 अक्टूबर तक रहेगा. पितृपक्ष में पितरों के श्राद्ध और तर्पण करने पर उनकी आत्मा की शांति मिलती है. इसीलिए पितृपक्ष में तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितर देव स्वर्गलोक से धरती लोक अपने परिजनों से मिलने पितृपक्ष में आते हैं.

जो व्यक्ति पितरों का तर्पण या श्राद्ध नहीं करता, उसे पितृदोष का सामना करना पड़ता है. यह दोष जीवन में कई तरह की मुश्किलों को खड़ा करता है. इसलिए पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृपक्ष में कुछ कामों को करने की मनाही होती है. आइए जानते है ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ संजीत कुमार मिश्रा से कि पितृपक्ष में कौन से काम नहीं करनी चाहिए...

 

  • शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितर देवता घर पर किसी भी रूप में आ सकते हैं. इसलिए किसी भी पशु या व्यक्ति का अपमान नहीं करना चाहिए. घर पर आने वाले किसी भी शख्स को भोजन कराएं और आदर करें.

  • पितृपक्ष में चना, दाल, जीरा, नमक, सरसों का साग, लौकी और खीरा जैसी चीजों के सेवन से बचना चाहिए.

  • किसी तीर्थस्थान पर पितरों के तर्पण और श्राद्ध का विशेष महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि गया, बद्रीनाथ या प्रयाग में श्राद्ध से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा जिन लोगों को विशेष स्थान पर श्राद्ध नहीं करना होता, वह घर के किसी भी पवित्र स्थान पर कर सकते हैं.

  • पितृपक्ष में श्राद्ध आदि शाम, रात या तड़के नहीं किया जाता है. यह हमेशा दिन में ही किया जाता है.

  • पितृपक्ष में कर्मकांड करने वाले व्यक्ति को बाल और नाखून काटने की मनाही होती है, इसके अलावा उसे दाढ़ी भी नहीं कटवानी चाहिए.

  • पितृपक्ष में किसी भी शुभ कार्य को करने या नई चीज को करने की मनाही होती है.

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