पर्युषण में आठ दिन बंद रहते है पाली के बाजार
जैन समाज का सबसे बड़ा महापर्व पर्युषण, जिसमें साधक आत्मशुद्धि करने के लिए तप-त्याग व ध्यान करने के साथ अहिंसा का पालन करते हैं। यह पर्व देश व विदेश में रहने वाला हर जैन समाजबंधु मनाता है, लेकिन देश के हर क्षेत्र में विहार करने वाले संत व साध्वियां पर्युषण में प्रवचन करते समय पाली का जिक्र जरूर करते हैं। इसका कारण यह है कि पाली ही एक ऐसा शहर है, जहां हर समाज व धर्म का व्यक्ति अहिंसा का पालन करने को तत्पर हो जाता है। पर्युषण लगते ही पाली के बाजार में अकता (प्रतिष्ठान बंद रखना) है। भट्टियां नहीं जलाई जाती है। जिसके जलने पर छोटे जीव काल का ग्रास नहीं बने। ऐसा शहरवासी किसी दबाव से नहीं वरन स्वैच्छा से करते है और यह परम्परा करीब सौ साल से चल रही है। संतों के सान्निध्य में किया था निर्णय पेढ़ी देश में तीसरा ट्रस्ट्र, जो करता है 12 मंदिरों का संचालन |
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