उत्तम सत्य धर्म की आराधना
भीलवाड़ा । जो सज्जन लोग मोक्ष मार्ग की उपासना में अपने स्वभाव को साधने के प्रयास में आत्म स्वभाव में लीन हो रहे हैं, उनकी साधना में आ रही बाधा को दूर कर अनुकूल माहौल प्रदान करना साधु समाधि भावना है। हम स्वयं तपस्या नही कर पा रहे है लेकिन जो कर रहे है उनकी सहायता से भी अन्ततः वह मार्ग मिलेगा। जैसे श्री राम एवं लक्ष्मण ने वनवास के समय देशभूषण, कुलभूषण मुनिराजों का उपसर्ग दूर कर अपने मोक्ष मार्ग को प्रशस्त किया। यह बात बालयति निर्यापक मुनि श्री विद्यासागर जी महाराज ने सौलह कारण भावना में साधु समाधि भावना पर प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि इस भव में हम मोक्ष महल का निर्माण तो नहीं कर सकते लेकिन भगवान की तरह वितरागी बनने का लक्ष्य रखकर उसका शिलान्यास तो कर सकते है। |
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