उत्तम सत्‍य धर्म की आराधना

 

भीलवाड़ा । जो सज्जन लोग मोक्ष मार्ग की उपासना में अपने स्वभाव को साधने के प्रयास में आत्म स्वभाव में लीन हो रहे हैं, उनकी साधना में आ रही बाधा को दूर कर अनुकूल माहौल प्रदान करना साधु समाधि भावना है। हम स्वयं तपस्या नही कर पा रहे है लेकिन जो कर रहे है उनकी सहायता से भी अन्ततः वह मार्ग मिलेगा। जैसे श्री राम एवं लक्ष्मण ने वनवास के समय देशभूषण, कुलभूषण मुनिराजों का उपसर्ग दूर कर अपने मोक्ष मार्ग को प्रशस्त किया। यह बात बालयति निर्यापक मुनि श्री विद्यासागर जी महाराज ने सौलह कारण भावना में साधु समाधि भावना पर प्रवचन में कही। उन्होंने कहा कि इस भव में हम मोक्ष महल का निर्माण तो नहीं कर सकते लेकिन भगवान की तरह वितरागी बनने का लक्ष्य रखकर उसका शिलान्यास तो कर सकते है।
आर के कॉलोनी स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में मंगलवार को उत्तम सत्य धर्म की आराधना की गई। जैन दर्शन के अनुसार क्रोध, लोभ, भय, हास्य, अतिचार रहित सत्य बोलना सत्य धर्म है। इसी प्रकार जिस स्थान पर जिस वस्तु को जो कहते है, वह जनपद सत्य में आता है। जैसे भात को गुजरात, मालवा में चौखा, कर्नाटक में कूलू, द्रविड़ में चौरू कहते है।
आदिनाथ महिला मंडल की अध्यक्षा मंजू शाह ने बताया कि सोमवार को रात्रि में मण्डल की ओर से यम नियम एवं संयम पर प्रस्तुत नाटक में छोटे से छोटा नियम भी बड़े से बड़े संकट को टाल सकता है, का संदेश दिया गया। मण्डल की प्रस्तुति पर उपस्थित श्रावकों ने बार बार तालियों से उत्साहवर्धन किया।

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