मेरा बेटा निर्दोष, महन्त आनन्द ऐसा नहीं कर सकता

 


 

भीलवाड़ा ( विजय )। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महन्त नरेन्द्र गिरी की मृत्यु के लिए जिम्मेदार ठहराये जा रहे योग गुरु आनन्द गिरी के पिता का कहना है कि ‘मेरा बेटा निर्दोष है, उसे फंसाया जा रहा है’, वह ऐसा नहीं कर सकता।

भीलवाड़ा हलचल से दूरभाष पर बातचीत करते हुए अशोक और अब महन्त आनन्द गिरी के पिता रामेश्वरलाल चोटिया ने कहा कि अशोक जब छठी कक्षा में पढ़ता था तभी घर से चला गया था। तीन भाई बहनों के साथ रहने वाला अशोक 13 साल बाद उन्हें मिला तो वह महन्त आनन्द गिरी बन चुका था। भीलवाड़ा में संकट मोचन हनुमान मंदिर के महन्त बाबूगिरी की महंताई के मौके पर महन्त नरेन्द्र गिरी के साथ भीलवाड़ा आए थे। यहां बाहेतियों की धर्मशाला में उनकी उनके पुत्र से मुलाकात हुई थी और उन्होंने करीब 30 मिनट तक उससे बात की थी। महन्त नरेन्द्र गिरी की मौत के बाद आनन्द गिरी पर लगे आरोपों को उन्होंने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अशोक ऐसा नहीं कर सकता। लोगों की चर्चाओं के संबंध में उनसे जब सवाल किया गया कि आपका जब एक्सीडेन्ट हुआ था तो उपचार महन्त आनन्द गिरी ने ही कराया था लेकिन उन्होंने कहा कि यह सब बेकार की बातें है। इसी के साथ भतीजियों की शादी में आर्थिक सहायता करने को भी उन्होंने नकार दिया।

उनका कहना था कि उनकी आर्थिक सहायता की जाती तो आज वह इस स्थिति में नहीं होते। दो बेटे आज भी गुजरात में कबाड़ का काम कर रहे है और कुछ समय तक मैं भी मंदिर की पूजा अर्चना करता था और अब मैं खेती बाड़ी करता हूं।

अशोक महन्त बनने के बाद ब्राह्मणों की सरेरी अपने गुरु नरेन्द्र गिरी के साथ भी आए थे। वहीं कुछ समय पहले जब मां की मौत हुई तो आनन्द अन्तिम संस्कार में भी शामिल हुए थे। 

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