भीलवाड़ा में इको-फ्रैंडली गणेश जी की तैयार हो रही है मूर्तियां

 

भीलवाड़ा (हलचल) । आलोक ललित कला संस्था में महिलाएं और बच्चों द्वारा कलाकारों की देखरेख में इको-फ्रैंडली  गणेश जी की मूरत तैयार की जा रही है। संस्था के संस्थापक और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कंटेम्प्ररी कलाकार सौरभ भट्ट द्वारा निर्दिष्ट इको फ्रेंडली गणेश की मूर्त को कलाकार नलिनी शर्मा, अमोल और सौरभ भट्ट की कड़ी मेहनत से इस मूर्तियों का निर्माण किया जा रहा है।  
इस विषय पर आलोक आर्ट गैलरी के निदेशक गौवेर्धन लाल भट्ट ने बताया कि आगामी गणेश चतुर्थी का महोत्सव 10 सितम्बर को कोरोना की तीसरी लहर के चलते इस बार भी घर में ही मनाया जाना बेहतर है। इसके लिए भीलवाड़ा के वरिष्ठ स्कल्पटर आर्टिस्ट गौवेर्धन सिंह पंवार व कंटेम्पररी आर्टिस्ट सौरभ भट्ट और नलिनी शर्मा के निर्देशन में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए कलाकारों (कार्तिकेय, रिदम, हर्षवर्धन, रिद्धिमा, अमोल और अबीर) को पूर्ण रूप से इको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इन मूर्तियों की खास बात यह है कि यहाँ बनायी जा रही सभी मूर्तियाँ सौ-प्रतिशत प्रकृति के अनुरूप है। भीलवाड़ा में इको-फ्रैंडली गणेश की सर्वप्रथम शुरुआत आलोक ललित कला संस्था द्वारा 2019 में की गयी थी, जिसमें कलाजगत के वरिष्ठ और ख्याति प्राप्त स्कल्पटर आर्टिस्ट गौवर्धन सिंह पँवार के सानिध्य में मूर्तियों के निर्माण का कार्य प्रारम्भ हुआ। यहाँ बनायी जा रही सभी मूर्तियाँ प्राकृतिक सौन्दर का अनुभव तो कराती ही है साथ ही कलाकारों की कलात्मक अभिव्यक्ति का भी एहसास कराती है। इसके साथ ही महोत्सव के अंतिम दिन मूर्ति को घर में ही परिवार के सदस्सयों के साथ गमले में विसर्जित भी कर सकेंगे। और गमले में तुलसी का पौधारोपण कर प्रकृति को स्वच्छ और सुन्दर बनाने में सहयोग कर सकेंगे।
भट्ट का मानना है कि इस तरह के प्रयास से महिलाओं और युवाओं में रोजगार के अवसर प्रदान होंगे और "वोकल फ़ॉर लोकल" और "लोकल फॉर ग्लोबल" जैसे विचार से समाज में एक नई क्रांति का उदय होगा।
लोकल कलाकारों द्वारा निर्मित मूर्तियों के कदरदान भीलवाड़ा से ही नहीं वरन अजमेर, जयपुर, मुम्बई जैसे महानगरों से भी इन मूर्तियों को सराहना मिल रही है, और इसके पीछे छिपी व्यापक सोच को सराहा जा रहा हैं।

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