दुर्लभ संयोग में करें शनिदेव की पूजा और उपाय, हर मुश्किल हो जाएगी आसान

 

इस बार 4 सितंबर को शनि पुष्य (Shani Pushay) और शनि प्रदोष (Shani Praosh) दोनों शुभ योग एक साथ बन रहे हैं। सालों में कभी दुर्लभ संयोग बनता है। पुष्य नक्षत्र और प्रदोष तिथि में किए गए उपाय बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं। इनसे आपकी हर परेशानी दूर हो सकती है।

शाम तक रहेगा पुष्य नक्षत्र (Shani Pushay)
4 सितंबर, शनिवार को पुष्य नक्षत्र सूर्योदय से शाम 5 बजे तक रहेगा। वहीं प्रदोष तिथि की पूजा शाम 5 बजे बाद की जाएगी। पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। मान्यता है कि इस शुभ नक्षत्र में यदि कोई उपाय या पूजा की जाए तो उसका फल कई गुना होकर मिलता है। वहीं प्रदोष तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। जब ये तिथि शनिवार को आती है तो शनि प्रदोष का योग बनता है। इस योग में शिवजी के साथ-साथ शनिदेव (Shanidev) की पूजा करना भी श्रेष्ठ रहता है।

ये उपाय करें…
1. शनिदेव (Shanidev) का तिल के तेल से अभिषेक करें या पंडित से करवाएं। इसके बाद शनि शांति मंत्रों से हवन करवाएं।
2. गरीबों, दिव्यांगों, अनाथों को भोजन करवाएं। शनि मंत्र ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का आप करते हुए पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करें।
3. पीपल के पेड़ में मीठा दूध अर्पित करें और उसके नीचे बैठकर शनि स्तवराज का पाठ करें।
4. शनिवार को हनुमान चालीसा या हनुमान बाहु अष्टक का पाठ करने से शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
5. काले घोड़े की नाल से अंगूठी बनावाकर धारण करें। ये उपाय किसी ज्योतिषी से पूछकर करें।
6. नीलम रत्न किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लेकर धारण करें।
7. शनिदेव का पूजन, अभिषेक अपनी इच्छित कामना की पूर्ति के लिए करें। शनि मंत्रों का जाप करके यथाशक्ति गरीबों को भोजन करवाएं, वस्त्र भेंट करें।

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