संघर्ष एवं विपत्ति में व्यक्ति निखरता है: त्रयम्बकेश्वर चैतन्य महाराज

 

   भीलवाड़ा  हलचल।  बाल ब्रह्मचारी अनन्त विभूषित त्रयम्बकेश्वर चैतन्य महाराज ने कहा की संघर्ष एवं विपरीत परिस्थितियों में ही व्यक्ति निखरता है। मनुष्य होना अलग बात है एवं मनुष्यता में अंतर है। जो वेद शास्त्रों का अनुगमन करता है वही मनुष्य है। अपने मूल स्वरूप को समझना ही पूजा एवं मुक्ति है।  जो तीनों कालो में समान रहे सत्य वही है।  सत्य परिवर्तनशील नहीं है। दूसरों की अच्छाइयों में बुराई देखने वाले आगे नहीं बढ़ सकते है। सन्त  शनिवार को हरीसेवा उदासीन सनातन मंदिर में चातुर्मास प्रवचन के तहत श्रद्धालु समुदाय को संबोधित कर रहे थे। प्रवक्ता रजनीकांत आचार्य ने बताया कि ऋषि पंचमी के शुभ अवसर पर सभी संतो को शॉल ओढ़ाकर एवं आरती के साथ माल्यार्पण कर पूजा अर्चना की गई। आयोजक परिवार के राधेश्याम अग्रवाल ने बताया की हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मन्दिर में महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन महाराज के सानिध्य में प्रवचन प्रतिदिन अपराह्न 3 से शाम 5 बजे तक चल रहे है। प्रवचन का फेसबुक पर सीधा व यूट्यूब पर शाम को प्रसारण किया जा रहा है। संयोजक परिवार के छीतरमल, कृष्ण गोपाल व प्रह्लाद अग्रवाल ने बताया की संत के साथ  दंडी स्वामी प्रबोधाश्रम महाराज, नृसिंह भारती महाराज, आचार्य हरि ओम महाराज, स्वामी नारायण महाराज, ब्रह्मचारी देवेश महाराज भी ज्ञान गंगा बहा रहे हैं।

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