क्षमावणी पर्व की समाप्ति

 

भीलवाड़ा । दिगम्बर जैन समाज ने आज क्षमावणी पर्व मनाकर दशलक्षण पर्व की समाप्ति की। शहर के 17 दिगम्बर जैन मंदिर में प्रातः पूजन के साथ क्षमावणी के अभिषेक के साथ सामुहिक रुप से भगवान, मुनि संघ एवं एक दूसरे से क्षमा याचना की गई। कोरोना प्रतिबंधों के कारण परम्परा अनुसार सकल समाज का सामूहिक क्षमा याचना उत्सव का आयोजन नहीं हुआ।
इस अवसर पर मुनि विद्यासागर ने कहा कि विश्व के जितने भी दर्शन है, उनमें प्राणी मात्र के प्रति क्षमा के भाव रखना केवल जैन दर्शन में है। क्षमा के मार्ग से दूर होने के कारण संबंधों में तनाव पैदा हो रहा है। अहंकार के भाव के कारण विवाह के कुछ समय बाद ही पति-पत्नी एक दूसरे से अलग हो रहे है, आज व्यक्ति सहन नही कर पाता और तुरन्त प्रतिक्रिया करता है। जबकि दार्शनिकों ने कहा है कि जो सहन करते है, वहीं महान बनते है। दूसरों से बदला लेने के बजाय अपने को बदलने के भाव होने चाहिए।
ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेश गोधा ने बताया कि श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में पवन कोठारी ने 108 रिद्धी मंत्रों से अभिषेक एवं क्षमावणी के अभिषेक एवं शांतिधारा कर श्रीजी को अपने मस्तक पर विराजमान कर मंदिर प्रांगण में यात्रा निकाली। शाह परिवार में ममता एवं अंशुल शाह के सौलह उपवास एवं अंकुर शाह के 12 उपवास पूर्ण होने पर विनतियों का आयोजन किया गया।

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