मक्का के नाशक कीट के प्रति बरते सावधानी

 


भीलवाड़ा ।  पूरे भारत में विख्यात मेवाड़ क्षेत्र में इस बार जल्दी ही एक विदेशी कीट फाॅल आर्मी वर्म देखा गया है। यह कीट सर्वप्रथम कर्नाटक राज्य में शिव मोगा जिले में प्रथम बार 2018 में देयाा गया। सम्भवतया भारत में इसे प्रथम बार देखा गया। यह कीट अमेरिका के उष्ण एवं उपोष्ण जलवायु में पाया जाने वाला पमुख कीट है। यह कीट इतना मजबूती के साथ उडान भरता है कि मात्र 6 माह बाद अर्थात खरीफ 2019 में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात को पार करते हुए राजस्थान के मक्का उत्पादक जिलों में तबाही मचाई थी। यह सर्वभक्षी कीट है लेकिन मक्का इसका प्रिय भोजन है। इसका प्रौढ़ एक रात में 100 किमी की दूरी पार कर सकता है।
    कीट वैज्ञानिक डाॅ. किशन जीनगर ने बताया कि इसकी सुण्ड़ी (लट्) के सिर पर उल्टे श्ल्श् आकार का हल्के रंग का चिन्ह होता है तथा सुण्ड़ी के उदर के आठवे खण्ड़ पर चार काले रंग के धब्बे होते है। इसकी सुण्ड़ी अवस्था परिवर्तन करते हुए मक्का के तने के अन्दर श्पोटश् में अन्दर घुसकर तने को खोखला कर देती है। इसका जीवन चक्र अनुकूल मौसम में 38 से 42 दिन में पूरा होता है। इसकी सुण्ड़ी ही ज्यादा हानि पहुँचाती है तथा पौधों में डेडहर्ट बन जाता है और उसमें भुट्टा लगने की संभावना न के बराबर होती है।
भ्रमण दल के मुखिया उपनिदेशक कृषि रामपाल सोलंकी ने बताया कि अण्ड़े से सुण्ड़ी निकलते ही मक्का के छोटे-छोटे पौधों की पत्तियों को खुरच कर खाती है जिसके कारण मक्का की पत्तियों पर लम्बी-लम्बी कटी-फटी धारियाँ बन जाती है। जब सुण्ड़ी तीसरी अवस्था में पहुँचती तब पत्तियों पर बहुत सारे छेद कर देती है। इसके पश्चात यह सुण्ड़ी पौधे के तने के अन्दर घुस कर खोखला कर देती है जिससे खड़ी फसल में अत्यधिक हानि होती है। बाद की अवस्था में इस कीट की सुण्ड़ी जो कि पाँचवी अवस्था में होती है, भुट्टों के अन्दर घुसकर दानों को खाकर हानि पहुँचाती है। 
भ्रमण दल में उपनिदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा डाॅ. जी. एल. चावला ने बताया कि कृषकों से मिली शिकायतों के निदान हेतु प्रभावित कृषकों व अन्य कृषकों से सम्पर्क कर उन्हें समय रहते इस कीट को नियन्त्रण करना आवश्यक है। अतः कृषकों को सलाह दी जाती है कि उपर्युक्त कीटनाशक मैसे इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एस जी 6 ग्राम प्रति टंकी, स्पाइनोसेड 45 एस पी 6 मिली प्रति टंकी, थायमिथोक्साम 12.6 प्रतिशत $ लेम्डासाइटेलोथिन 9.5 प्रतिशत 7 मिली घोल बनाकर छिड़काव करें।
उपनिदेशक कृषि रामपाल खटीक ने बताया कि भ्रमण दल ने सुवाणा, रूपाहेली, धूमड़ास, पोण्डरास, बनका खेड़ा एवं सवाईपुर के मक्का उत्पादक क्षेत्रों का भ्रमण कर सभी अधीनस्थ विभाग के अधिकारियों, प्रसार कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि सभी अपने-अपने क्षेत्र में अलर्ट रहे तथा जहाँ कहीं पर भी फाॅल आर्मी वर्म की शिकायत मिले तुरन्त कृषकों को सलाह देकर कीट को नियन्त्रण में करें।    
 

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