यह कचरागाह नहीं, गांधी सागर तालाब है


 

भीलवाड़ा प्रहलाद तेली
भीलवाड़ा की एक पहचान है गांधी सागर तालाब। चाहे पर्यटन स्थल के रूप में लें या पौराणिक विरासत के रूप में, दोनों ही रूप से गांधी सागर तालाब का महत्व है। नगर परिषद की लापरवाही के चलते तालाब की सफाई नहीं होने से यह कचरागाह में तब्दील होता जा रहा है। जहां पहले यहां शाम के समय रौनक रहती थी। परिवार घूमने आते थे। कहा जा सकता है कि गांधी सागर तालाब एक पिकनिक स्पॉट बन चुका था लेकिन अब तालाब में गंदगी होने से बदबू फैली रहती है। इससे यहां आने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है। सारसंभाल के अभाव में यहां लगी बैंचें भी टूट चुकी हैं। अब यहां ऐसा कुछ नहीं है जिससे कि लोग परिवार के साथ यहां आकर दो पल सुकून से बिता सकें।
इनका कहना है...
गांधीसागर तालाब शहर का प्राचीन तालाब है। नगर परिषद की लापरवाही के चलते गांधी सागर इन दिनों गंदा सागर बना हुआ है। शहर के 7 सीवरेज नालों का गंदा पानी गांधी सागर तालाब में आ रहा है। इससे यहां सड़ांध फैल रही है। इसके अलावा तालाब में पॉलीथिन, डिस्पोजल और मृत पशु पड़े हैं। यहां खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा है। नगर परिषद ने तालाब के विकास पर 7 करोड़ रुपए खर्च करने का दावा किया है लेकिन विकास के नाम पर इसका विनाश हो गया  है। नगर परिषद को इसकी नियमति सफाई करवाकर यहां नौका विहार जैसी योजना को मूर्त रूप देना चाहिए ताकि पर्यटन के क्षेत्र में इसे विकसित किया जा सके। प्रदूषण मंडल की ओर से नगर परिषद पर तीन करोड़ से ज्यादा का जुर्माना लगाया जा चुका है फिर भी हालात ज्यों के त्यों हैं।
बाबूलाल जाजू, पर्यावरणविद, भीलवाड़ा

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