गांव-कस्बों में भी मरीजों को मिलेगा शहर के बड़े अस्पतालों की तर्ज पर इलाज

 

दिल्ली।

बड़े अस्पतालों की तरह अब गांव और कस्बा क्षेत्र में भी मरीजों को इलाज मिल सकेगा। इसके लिए सरकार ने देश भर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर व्यवस्था में सुधार शुरू कर दिया है जिसकी शुरुआत डॉक्टरों के मार्गदर्शन से हो रही है। जानकारी के अनुसार नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने डॉक्टरों के लिए नए उपचार नियम जारी किए हैं, जिनमें मरीज की बीमारी पकड़ने से लेकर उसकी जांच, उपचार और देखभाल तक के बारे में हर छोटी-बड़ी जानकारी मौजूद है। बुधवार को आईसीएमआर ने 54 बीमारियों के लिए नए उपचार नियम जारी किए हैं, जो 11 विभागों के डॉक्टरों के लिए उपयोगी हैं।इससे पहले साल 2019 में 53 और इसी साल मार्च में 18 बीमारियों के लिए भी इसी तरह के नियम जारी किए गए थे। उदाहरण के तौर पर किसी मरीज को छाती में दर्द है तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर उसकी जांच या उपचार से जुड़ी सुविधाएं मौजूद नहीं है।  वहां तैनात डॉक्टर मरीज को बड़े अस्पताल जाने की सलाह देता है। इससे वहां मरीजों का भार बढ़ रहा है। नए नियमों के अनुसार, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात डॉक्टर को यह बताया जा रहा है कि अगर किसी को छाती में दर्द है तो उसकी क्या-क्या जांच की जानी चाहिए और  इलाज क्या होना चाहिए? इन सभी की जानकारी दी जा रही है ताकि आपात स्थिति में आने से पहले ही मरीज को प्राथमिक उपचार मिलना शुरू हो जाए।

बीमारियों के लिए डॉक्टरों को नए उपचार नियम हुए जारी
आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने कहा, प्राथमिक देखभाल करने वाले डॉक्टरों पर काफी भार है। स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट वर्कफ्लो के तहत ये डॉक्टर कार्य करें, तो अधिकांश मरीजों को वहां उपचार संभव है। वहीं, नीति आयोग के सदस्य डॉ विनोद पॉल ने कहा, इनका इस्तेमाल स्वास्थ्य प्रणाली के विभिन्न स्तरों पर करना चाहिए।

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