महिलाओं ने पूजा गोवर्द्धन , घरों और मंदिरों में लगेगा अन्नकूट का भोग

 


भीलवाड़ा(हलचल)।  जिले मे पंचदिवसीय दीपोत्सव के तहत बुधवार को गोवर्द्धन पूजा की  गई वही घरों और मंदिरों में अन्नकूट प्रसादी बनागकर भोग लगाया जाएगा।

 आज बड़े तड़के से ही महिलाओं ने अपने घरों के बाहर गोबर आदि से गोवर्द्धन बनाया और बाद में महिलाओं ने पूजा अर्चना की । शहरी क्षेत्र में तो ये रिवाज कम ही घरों में निभाया जाता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रो में अधिकांश घरों में महिलाएं रीति रिवाजों के साथ ये परम्परा निभाती है।

बनेड़ा हलचल कस्बे और आसपास के क्षेत्र में आज गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया गया महिलाओं ने गोबर से गोवर्धन का निर्माण किया इस दौरान उन्होंने विधिवत पूजा अर्चना की

इस तरह करे पूजा

गोवर्धन पूजा करने के लिए आप सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं। इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें। कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है।

गोवर्धन पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा-

मान्यता यह है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी उंगली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और इंसानी जिंदगियों को भगवान इंद्र के कोप से बचाया था। श्रीकृष्‍ण ने इन्‍द्र के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाते हैं। कुछ लोग गाय के गोबर से गोवर्धन का पर्वत मनाकर उसे पूजते हैं तो कुछ गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान को जमीन पर बनाते हैं। 

आकोला क्षेत्र अन्नकूट का पावन पर्व मनाया गया 
आकोला(रमेश चन्द्र डाड) स्थानीय ग्राम आकोला व आसपास के ग्रामो में अन्नकूट का पावन पर्व ने हर्षोल्लास से मनाया गया ।
आकोला में घर के बाहर गोर्वधन पूजा करती हुई महिलाएं

 

सालों बाद टूटी परंपरा, पुजें गए गोवर्धन, गायों के लंपी संक्रमण के निवारण की कामना की 

सवाईपुर ( सांवर वैष्णव ):- सवाईपुर कस्बे सहित आसपास के गांवों में आज गोवर्धन महाराज की पूजा अर्चना की गई | पांच दिवसीय दीपोत्सव के चौथे दिन प्रतिपदा बुधवार को गोवर्धन महाराज की पूजा घर-घर में हुई | गोबर से गिरिराज महाराज की आकृति बनाकर महिलाओं ने मंगल गीत गाए | मंदिरों में भी आयोजिन हुए | श्रद्धालुओं ने गोवर्धन की परिक्रमा कर मन्नते मांगी, गायों में लंपी संक्रमण के रोकथाम की कामना की | 27 साल बाद दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा फिर टूट गए, इसे पुर्व 1995 में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा नहीं की गई | महिलाएं सज धज कर गोबर से गोवर्धन जी की आकृति बनाकर विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चना की गई तथा परिक्रमा लगा कर घर परिवार सुख समृद्धि व पशुओं के निरोगी की कामनाएं की, वही गायों में फेल लंपी संक्रमण के रोकथाम के लिए गोवर्धन जी महाराज से प्रार्थना की ||

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