आज जो भोजन करने की प्रक्रिया है वहीं असल में सभी बिमारियों की जड है- आचार्य महाश्रमण

 


भीलवाड़ा। आचार्य महाश्रमण चातुर्मास में पर्युषण महापर्व की शुरूआत हुई। 9 दिवसीय पर्युषण पर्व में आज पहले दिन खाद्य संयम दिवस मनाया गया। जिसमें आचार्य महाश्रमण ने अपने उपदेश में कहा कि आज जो भोजन करने की प्रक्रिया है वहीं असल में सभी बिमारियों की जड है। इसके कारण हमें खाना खाते समय संयम रखना चाहिए। श्रावक समाज भी अन्य सामाजिक, व्यापारिक प्रवृत्तियों से निवृत्ति लेकर ध्यान, जप, सामायिक, तप आदि के माध्यम से अध्यात्म की साधना करते रहे। 
                साध्‍वी प्रमुखा कनक प्रभा ने कहा कि यह पर्व अध्‍यात्‍म और आत्‍मजागरण का पर्व है। मानव शरीर के आगे भी आत्‍मा है। आत्‍मा को जाने और उसको पहचानों और आत्‍मा की यात्रा करों यही धर्म का मुल स्‍त्रोत है। पर्युषण पर्व में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और अन्तिम दिन क्षमायाचना की जाती है। जिससे की व्‍यक्ति अपना मन,वचन और काया को स्‍वच्‍छ कर सकें। मुनि दिनेश कुमार ने कहा कि यह पर्व अध्‍यात्‍म चेतना जागरण, आत्‍मदर्शन, मोक्ष मार्ग, मन की ग्रंथियों को खोलने का पर्व है। पर्युषण का पहला दिन खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया और 12 सितम्‍बर को क्षमायाचना दिवस मनाने के साथ यह पर्युषण दिवस समाप्‍त हो जायेगा। वहीं श्रद्धालु स्‍नेहलता झाबक ने कहा कि आज हमने खाद्य संयम दिवस में हम उपवास के साथ ही अन्य तपस्‍याऐं करती है। इस पर्व के अन्तिम दिन हम क्षमायाचना करते है। हम खुशी है कि भीलवाड़ा में ढाई सौ वर्ष बाद हो रहे आचार्य महाश्रमण के चातुर्मास के इस पर्व में हमने भाग लिया। 

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