1 नहीं 3 प्रकार का होता है मांगलिक दोष, इसकी वजह से विवाह में आती है परेशानी
ज्योतिषियों के अनुसार, अगर दोनों में से किसी एक की भी कुंडली में मांगलिक दोष हो तो विवाह नहीं किया जाता है। विवाह के लिए युवक-युवती दोनों का मांगलिक होना जरूरी है, नहीं तो भविष्य में की किसी अनिष्ट की आशंका बनी रहती है। हालांकि ये बात तो सभी जानते हैं लेकिन मांगलिक कुंडली भी 3 प्रकार की होती है ये बात बहुत लोगों को पता होती है। ज्योतिष इस बात को भली-शांति जानते हैं। ये 3 प्रकार हैं- सामान्य मांगलिक, द्विबल मांगलिक और त्रिबल मांगलिक। द्विबल मांगलिक कुंडली: जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8, 12वें भाव में होने के साथ-साथ अपनी नीच राशि कर्क का भी हो तो मंगल का दुष्प्रभाव दोगुना हो जाता है। या 1, 4, 7, 8, 12वें भावों में मंगल के अलावा सूर्य, शनि, राहु-केतु में से कोई ग्रह बैठा हो तो जन्मकुंडली द्विबल मांगलिक हो जाती है। त्रिबल मांगलिक कुंडली: जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मंगल 1, 4, 7, 8, 12वें भाव में होने के साथ-साथ अपनी नीच राशि कर्क का हो तथा इन्हीं भावों में शनि, राहु, केतु भी बैठे हों तो मंगल का दुष्प्रभाव तीन गुना हो जाता है। ऐसी जन्मकुंडली त्रिबल मांगलिक कहलाती है। 1. मंगल के प्रभाव को कम करने के लिए मांगलिक लोगों को भगवान शिव और हनुमान जी की आराधना करनी चाहिए। |
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