बेखौफ होकर थाने से महज 200 मीटर दूर खोद रहे शमशान

 


मंगरोप (मुकेश खटीक) दिनों दिन बजरी का बढ़ता उपभोग और उससे कमाए पैसो की खनक ने लोगों को अच्छे और बुरे में फर्क करना तक भुला दिया है।बजरी माफियाओं ने हिंदू श्मशान घाट तक को नहीं बख्शा है। गड़े हुए मासूम और जले हुए मुर्दों तक के कंकाल निकाल कर बजरी के साथ भरकर ले जा रहे हैं।गाँव में हिन्दू समाज के लिए शव जलाने के लिए एकमात्र शमशान है लेकिन इसपर भी बजरी माफिया अपना अधिकार जमाते हुए लगातार बजरी दोहन कर रहे है।जिससे निकट भविष्य में शमशान के लिए पर्याप्त जगह नहीं बचेगी जिससे काफी बड़ी समस्याएं उत्पन्न हो सकती है।कई बार ग्रामीण थाने में भी इस बात को लेकर सूचना दे चुके हैं।लेकिन अब तक भी शमशान से बजरी दोहन का सिलसिला जारी है।ग्रामीणों ने पुलिस पर शमशान खोद रहे माफियाओं पर अंकुश नहीं लगा पाने का आरोप लगाया है।लगातार ग्रामीणों के विरोध के बावजूद भी ये लोग बाज नहीं आ रहे है।ग्रामीणों ने मांग की है कि या तो शमशान में दाह संस्कार के लिए भूमि कहीं और आवंटित की जाए या फिर शमशान भूमि क्षेत्र में बजरी दोहन पर गंभीरता से अंकुश लगाया जाये।अन्यथा लोगों ने सड़को पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।  

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