5 वर्ष तक के बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है निमोनिया -सीएमएचओ डॉ.खान

 

 भीलवाडा BHN निमोनिया फेफडों में होने वाला संक्रमण है। यह विभिन्न बैक्टिरिया व वायरस के श्वास के माध्यम से प्रवेश करने से फैलता है। छोटे बच्चों के लिए निमोनिया खतरनाक  हो सकता है। पांच वर्ष तक की उम्र के छोटे बच्चों में निमोनिया एवं उससे होने वाली जटिलता के चलते मृत्यु होने की संभावना अधिक हो जाती है। बच्चों में निमोनिया रोग के बचाव के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से 12 नवम्बर से 28 फरवरी 2023 तक जिले में सांस अभियान चलाया जा रहा है। इसको सफल क्रियान्विति के लिए जिला स्तर से समस्त चिकित्सा अधिकारियों व कार्मिकों को निर्देश जारी किए जा चुके है।

          मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मुस्ताक खान ने बताया कि नवजात, कुपोषित शिशु, बुजुर्ग, कमजोर इम्युनिटी वाले इंसान जैसे एचआईवी संक्रमित, अत्यधिक शराब व धूम्रपान के आदि, भीड भाड वाले इलाकों के बाशिन्दे, पुराने हदय, लीवर, किडनी मरीजों को निमोनिया का खतरा अधिक रहता है। इसकी रोकथाम व उपचार के लिए जिले के चिकित्सा अधिकारी प्रभारियों को निर्देश दिए गए है। यह विभिन्न बैक्टेरिया व वायरस के श्वास के माध्यम से प्रवेश करने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने पर ये वायरस स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर संक्रमण का कारण बनता है। इसकी रोकथाम व बचाव के लिए मास्क पहने व सामाजिक दूरी का पालन करें। साबुन व पानी से नियमित अंतराल से हाथों को धोते रहे। मां अपने बच्चे को छह माह तक केवल स्तनपान कराऐं। बच्चों को पर्याप्त पूरक आहार खिलाएं। शराब व धूम्रपान को ना कहे। बच्चों व बुजुर्गो में आवश्यक उपलब्ध टीकाकरण अवश्य कराएं। संतुलित व पौष्टिक आहार का सेवन करें तथा संक्रमण होने पर अपने नजदीकी चिकित्सालय में जाकर चिकित्सक की सलाह पर उचित उपचार लेवे।
          जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजीव शर्मा ने बताया कि बुखार के साथ तेज खांसी, सांस लेने में कठिनाई, बदन दर्द, खांसी के साथ छाती में दर्द, कभी कभी खराश में खून आना निमोनिया के लक्षण है। पांच साल के बच्चों में ये लक्षण नजर आने पर तुरन्त चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। साथ ही छाती के एक्स-रे, सीबीसी, छती के सीटी स्कैन जैसे सामान्य व हर जगह उपलब्ध जांचों से भी निमोनिया का पता लगाया जा सकता है। अभियान के तहत चिकित्सा संस्थानों में आने वाले सभी पांच साल तक की आयु के बच्चों की निमोनिया की स्क्रीनिंग की जाएगी। साथ हीं आशा व एएनएम को निमोनिया के लक्षण की पहचान के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। अभियान के तहत जिले में व्यापक स्तर आशा एवं एएनएम द्वारा आमजन को जागरूक किया जायेगा।

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