जिंक अपने क्षेत्र में युवाओं को शिक्षित करने के लिए विभिन्न स्तर पर चलाता रहा है अभियान

 


भीलवाडा   हम जितना प्रकृति से लेते है, उसके अनुरूप प्रकृति को वापस देना आवश्यक है। माइनिंग उद्योग भूमि का दोहन करते है, तो सघन वृक्षारोपण से क्षतिपूर्ति की जाती है। साथ ही उद्योगों को अपने क्षेत्र में शिक्षा, चिकित्सा, महिला सशक्तीकरण आदि पर उचित रुप से व्यय करना चाहिए। यह बात वेदान्ता रिर्सोस के स्वतंत्र निदेशक अखिलेश जोशी ने मंगलवार सायं मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री की ओर से उद्योगों की सामाजिक उत्तरदायित्व में भूमिका पर सम्बोधित करते हुए कहा। उन्होंने बताया कि भीलवाडा जिले की प्रमुख माइनिंग इकाई के रुप में हिन्दुस्तान जिंक अपने क्षेत्र में युवाओं को शिक्षित करने के लिए विभिन्न स्तर पर अभियान चलाता रहा है। वर्तमान में तो ग्रुप-30 जैसे प्रयोग भी किये जा रहे है। उच्च शिक्षा के लिए क्षेत्र के युवाओं को हिन्दुस्तान जिंक की रिंगस स्थित शिक्षण संस्थान में भेजा जाता है। यह उद्योग सामाजिक उत्तरदायित्व, आंगनवाड़ी, टीकाकरण, कोविड महामारी आदि में करोडों रुपये व्यय कर चुका है।
मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के मानद महासचिव आर के जैन ने बताया कि जोशी 1995 से 2008 तक हिन्दुस्तान जिंक की रामपुरा आगुचा माइन्स के यूनिट हेड के रुप में कार्यरत रहे। चेम्बर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ आर सी लोढा एवं मानद महासचिव आर के जैन ने पुष्पगुच्छ से अखिलेश जोशी का स्वागत किया। इस अवसर पर योगेश लढ्ढा, सुमित जागेटिया, एस के सुराना, एस के लोढा, वेदान्त मानसिंहका, विपिन जैन ने सामाजिक उत्तरदायित्व पर चर्चा में भाग लिया।

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